(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

मंत्री की दखलंदाजी से परेशान मंत्री, पूर्व मंत्री

मध्य प्रदेश में नर्मदांचल के एक बड़बोले मंत्रीजी के अपनी सीमा से बाहर जाकर दूसरे क्षेत्र में दखल देने से स्थानीय मंत्री और पूर्व मंत्री नाराज हैं। मंत्रीजी अपने एक रिश्तेदारों के लिए अधिकारियों और नेताओं को चमकाते रहते हैं। इस कारण रिश्तेदार के हौसले इतने बुलंद हैं कि वो स्थानीय मंत्री और पूर्व मंत्री के समर्थकों पर ही अकड़ दिखाने लगे। ऐसे ही मामले को लेकर सेहतमंद मंत्री के पास उनके निराश कार्यकर्ता शिकायत लेकर पहुंचे। उसी समय वहां पूर्व मंत्री भी मौजूद थे। फिर क्या था दोनों ने तय कर लिया के बड़बोले मंत्रीजी की दखलंदाजी अब उनके क्षेत्र में बर्दास्त नहीं की जाएगी। मंत्री और पूर्व मंत्री ने इसकी शिकायरत सूबे के मुखिया से करने का फैसला किया है। यह क्षेत्र भी सूबे के मुखिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है।

सावन में चिकन

मध्य प्रदेश भले ही कुपोषण का शिकार हो, लेकिन एमपी में प्रदेश की अफसरशाही सरकार के पैसे के फिजूलखर्ची में बिलकुल भी पीछे नहीं है। मामला सेहत से जुड़े एक विभाग का है, जब सरकार की योजनाओं को लेकर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिकन परोसा गया। प्रेस कॉन्फ्रेंस भी शहर के आलीशान होटल में रखी गई। बड़ा सवाल यह रहा जिन लोगों के लिए चिकन का इंतजाम किया गया था, वो खुद सावन के महीने में चिकन खाने से परहेज करते नजर आए। इससे पहले भी पिछली सरकार के एक मंत्री ने इसी तरह के आयोजन में चिकन परोसा था। जिसे लेकर काफी किरकिरी हुई थी।

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लूप लाइन के लिए सिफारिश

अधिकारी हमेशा मैदानी पोस्टिंग के लिए जुगाड़ तंत्र का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इस वक्त मध्यप्रदेश में लूप लाइन की पोस्टिंग के लिए सिफारिशें लगवाई जा रही हैं। मध्य प्रदेश में चुनाव करीब हैं और अगले 10 से 15 दिन के अंदर बड़े पैमाने पर ट्रांसफर होना है। भोपाल में लंबे समय से जमे 40 थाना प्रभारी और बड़े अधिकारियों का तबादला होना तय है। अब ये साहब अपनी पोस्टिंग PHQ कराने में जुटे हुए हैं, ये दूसरा जिला नहीं चाहते हैं। उसकी दो वजह हैं, पहली वजह यह है कि चुनाव के वक़्त वह किसी राजनीतिक दबाव से बचना चाहते हैं और इसके साथ-साथ चुनाव के वक्त मैदानी पोस्टिंग की जगह लूप लाइन में रहो और बाद मे सरकार बनने के बाद, सरकार जिसकी भी बने फिर से वापसी की जुगाड़ करो।

बाल कांग्रेस के बार कांग्रेसी

मध्य प्रदेश कांग्रेस चुनावी तैयारियां में जरूर व्यस्त है, लेकिन प्रदेश कांग्रेस की बाल कांग्रेस के एक वयस्क पदाधिकारी इन दिनों शहर के क्लबों में नजर आ रहे हैं। जी हां, मध्य प्रदेश बाल कांग्रेस के ये वयस्क पदाधिकारी इतने पार्टीबाज हो चुके हैं कि वह सुबह-शाम शहर के पॉश और एलीट क्लबों में जामफल खाते नजर आते हैं। सुंदरियों से सजी महफिल में प्रभारी महोदय का अंदाज देखते ही बनता है। चर्चा इस बात को लेकर चल रही है कि पीसीसी में मध्य प्रदेश की बार कांग्रेस को कैसे संस्कारी बनाया जाए। इन सब के बीच में जो प्रभारी ही यही करेंगे तो बाल क्या करेंगे यह समझा जा सकता है। बता दें कि कांग्रेस के पूर्व मंत्री के युवराज ही बाल कांग्रेस के कर्ताधर्ता हैं।

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कांग्रेस नेता और नेत्री के बीच जमकर टकराव

पिछले दिनों मध्य प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के कर्ताधर्ता और महिला नेत्री के बीच जमकर जुबानी जंग हुई। इस गरमा-गरम बहस का नतीजा कामकाज में दखलंदाजी से जुड़ा हुआ था। नेत्री को तो नेताजी ने ठिकाने लगा दिया, लेकिन इसके साइड इफेक्ट शुरू हो गए हैं। मीडिया के कर्ताधर्ता को पानी पी-पीकर गाली देने वाले एक कांग्रेस प्रवक्ता को नेताजी ने किनारे लगा दिया, जो महिला नेत्री के बेहद करीबी माने जाते हैं और यह महिला नेत्री इन्हीं प्रवक्ता को मीडिया विभाग के कर्ताधर्ता के पीछे लगाकर जासूसी करती आ रही थी। अब झगड़े की कहानी के चर्चे आम हो चुके हैं।

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चर्चा जोरों पर है

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कलेक्टर साहब की कार्यशैली की चर्चा जोरों पर है। कलेक्टर साहब इन दिनों व्यवस्था सुधारने में लगे हैं। उनके आक्रमक अंदाज से कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है। बीते दिनों ऐसी ही दो जगह औचक निरक्षण के दौरान कलेक्टर साहब ने ड्यूटी के टाइम खरीदारी करने वाले और ड्यूटी से गायब रहने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई कर अपना काम करने का अंदाज बता दिया। कलेक्टर साहब की इस कार्यशैली की जनता और मीडिया में जमकर चर्चा हो रही है। साथ ही चर्चा है कि कलेक्टर साहब कब तक इस अंदाज से काम करेंगे।

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