(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

पार्टी प्राॅटोकाॅल नहीं चाहिए

बीजेपी में चुनाव प्रभारी की भूमिका संभाल रहे नंबर वन और नंबर टू इन दिनों पार्टी प्राॅटोकाॅल से कभी-कभी दूरी बना रहे हैं… कारण है कहां, कब और किससे मिल रहे हैं… इसकी सूचना सार्वजनिक होने से रोकने का प्रयास है… पार्टी की ओर से प्राॅटोकाॅल स्वस्प गाड़ियां भेजी जाती हैं…लेकिन नेताजी उन गाड़ियों के बजाय दूसरी गाड़ियों में बैठकर चल देते हैं… लेकिन एक बात अडिग है…पार्टी के तय कार्यक्रमों में जाना हो या पार्टी कार्यालय आना हो तो पार्टी प्राॅटोकाॅल को ही तबज्जो दी जा रही है.

80 हजार की तो गाड़ी में तोड़फोड़ कर डाली

वाक्या तब हुआ जब विपक्षी दल के एक बड़े नेता की मध्य प्रदेश में एंट्री हुई…स्वागत की जोर-शोर से तैयारी हुई तो ट्रैवल्स से गाड़ियां भी हायर की गईं…स्वागत के बीच मुंह दिखाई में नेता ऐसे मग्न हो गए कि काफिले की गाड़ियों पर ही चढ़-बैठे… कार्यकर्ताओं के बोझ से काफिले में शामिल एक लग्जरी गाड़ी की हेड लाइट, साइड मिरर से साथ अन्य टूट-फूट हो गई…गाड़ी की रिपेयरिंग में 80 हजार रुपए का खर्च आया… लेकिन बिल में भरपाई सिर्फ 40 हजार की हो पाई.

प्रेस से मुलाकातों में आला नेता की बुराई

मध्य प्रदेश में चुनाव के बीच राजनैतिक दलों में किस नेता का क्या कद है.. ये तो जग-जाहिर है, लेकिन एक राजनैतिक दल में बाहर से आई टीम मुलाकातों में जमकर टीका-टिप्पणी कर रही है…और ऐसा और किसी के साथ नहीं बल्कि अपने ही आला नेता का नाम लेकर किया जा रहा है…बातों की बातों में टीम बताती है कि जमीन तक मेल-मिलाप हर किसी के बस की बात नहीं है…लेकिन बाहरी तो टीम में घर-घर तब पैंढ रखते हैं…यह भी कह ही दिया जाता है कि टिकट को लेकर आला नेताजी को ज्यादा कोई दिलचस्पी नहीं है… टिकट तो बाहरी भैया ही तय कर रहे हैं.

दुश्मन का दुश्मन दोस्त

मध्यप्रदेश की सियासत में इस वक्त एक कहावत सच होती नजर आ रही है, राजनीति में कहा जाता है कभी कोई दोस्त और कभी कोई दुश्मन स्थाई नहीं होता वक्त और सियासत के हिसाब से रिश्ते बदल जाते हैं. ऐसा ही विधानसभा चुनाव में भी हो रहा है. भले ही राजनीतिक पार्टियां अलग-अलग हो लेकिन टिकट के दावेदार दूसरे राजनीतिक दल के नेताओं से संपर्क साध रहा है और मदद की गुहार लगा रहे है. कुछ दिन पहले ही कांग्रेस के एक टिकट के दावेदार बीजेपी के नेता के पास पहुंचे और उनसे चुनाव में मदद करने की गुजारिश की साथ ही नेताजी ये भी कह आए, आपको आपकी पार्टी से टिकट मिलेगा नहीं जब तक यह हारेंगे नहीं इसलिए आप मेरी मदद करें अगली बार मैं आपकी मदद करूंगा.

चर्चा जोरों पर है

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की दूसरी सूची ने कई समीकरण गड़बड़ा दिए है , इस सूची के बाद कांग्रेस ने नए सिरे से फिर उम्मीदवारों के नाम पर विचार किया, चर्चा जोरो पर है कि कांग्रेस कि स्क्रीनिंग कमिटी की बैठक में तय किया गया कि मध्य प्रदेश से बीजेपी की तरह तमाम बड़े नेताओ को चुनावी मैदान में उतारा जाएगा. इस खबर के बाद के बाद कांग्रेस वो नेता जो अपने पठ्ठो के लिए टिकट मांग रहे थे वो खुद टिकट के दावेदार बन गए है, आलाकमान कोई फैसला ले उससे पहले कांग्रेस के कई बड़े चेहरे चुनावी मैदान से किनारा करने की जुगत में जुट गए है.

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