(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

अफसर असमंजस में

आचार संहिता लगते ही आला अफसर 90 फीसदी तक आकलन कर लेते हैं कि चुनाव का ऊंट किस करवट बैठने वाला है. लेकिन लंबे अर्से बाद ऐसा देखने को मिल रहा है कि किसी एक तरफ की लहर को लेकर आला अफसर भी असमंजस में हैं. ऐसे अफसर नीति निर्धारकों से लेकर कई चुनाव एक्सपर्ट से कई बार मशवरा कर चुके हैं. लेकिन उनके अब तक के सभी प्रयास असफल ही रहे हैं. लेकिन हथियार अभी भी नहीं डाले गए हैं और चुनाव पूर्व की हवा के सही आकलन तक पहुंचने के प्रयास सतत जारी हैं.

वार्ड नेता हुए इधर से उधर

माजरा भोपाल जिले का है. जहां टिकट के इंतजार में अब तक फैसला नहीं ले पाने वाले वार्ड नेताओं ने टिकट वितरण होते ही अपने-अपने नेताओं का नए सिरे से चुनाव कर लिया है. पसंद के प्रत्याशी के साथ काम करने के फेर में कई समीकरण ऐसे तय हो गए कि इन नेताओं का वार्ड अलग विधानसभा में है और दूसरी विधानसभा के प्रत्याशी के साथ काम में जुटे हुए हैं. ऐसे नेता पसंद के प्रत्याशी के साथ इस तरह जी-जान से काम में जुटे हैं प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए अपने ही वार्ड में होने वाली बैठकों में तक पार्षद महोदय नहीं पहुंचा पा रहे हैं.

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छुटकारा मिला है, कर लो मनमानी

चुनाव की आचार संहिता लगते ही एक हद तक अफसर और इंजीनियरों पर राजनैतिक दवाब कम हो गया है. इसके कुछ फायदे हैं तो नुकसान भी… फायदा यह कि निर्माण कार्याें को लेकर राजनैतिक हस्तक्षेप और अनावश्यक दवाब कम हो गया है तो नुकसान यह कि अफसरों से अधिक इंजीनियर मनमानी पर उतर आए हैं. आचार संहिता लगने से पहले तो ताबड़तोड़ भूमिपूजन कर काम शुरू कर दिए गए थे. उन्हें पूरा करने में इंजीनियर, अफसरों से अधिक तेजी दिखा रहे हैं. निर्माण स्थलों पर यह बात कई बार चर्चा में आ जाती है कि कुछ दिन के लिए छुटकारा मिला है, कर लो मनमानी.

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गफलत में हुआ बड़ा ऐलान

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुफ्त की घोषणाओं की होड़ लगी है. कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में नारी सम्मान के साथ 11 गारंटी जनता के सामने पेश की. इसके बाद इनमें से ज्यादातर गारंटी बीजेपी ने सरकार में रहते ही पूरी कर दी. इसके बाद कांग्रेस ने वादों को लेकर चुप्पी साध ली है. ये कांग्रेस की सोची समझी रणनीति थी, कांग्रेस को लगा कि आचार संहिता से पहले वो कोई वादा करेगी तो उसे बीजेपी चुरा लेगी. यही वजह रही कि कांग्रेस ने अपने मास्टर स्ट्रोक को छुपा कर रखा. मंडला में प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की पढ़ो-पढ़ाओ योजना को लेकर जो घोषणा की उसने बीजेपी सहित राजनैतिक पंडितों को चौंका दिया. कांग्रेस का यह मास्टर स्ट्रोक गेम चेंजर भी हो सकता है. लेकिन अंदर खाने से खबर है कि इस योजना का लाभ कांग्रेस साल में एक बार देना चाहती थी. मंच नेताओं की गफलत के चलते प्रियंका गांधी ने इसे हर महीने लागू करने का ऐलान कर दिया.

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चर्चा जोरों पर है

मध्य प्रदेश में सरकार में वापसी के लिए कांग्रेस बड़े ऐलान कर रही है. महिलाओं और बच्चों के लिए बड़ी घोषणा करने के बाद कांग्रेस का ध्यान अब किसान और आम जनता पर है. कांग्रेस इस बार आना चाहती है यही वजह है कि मुफ्त की घोषणाओं की झड़ी लगा दी है. मध्य प्रदेश में नारी सम्मान और पढ़ो-पढ़ाओ के बाद कांग्रेस के तरकश में अभी दो और बड़े तीर हैं. चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश में किसानों के लिए गेहूं खरीदी 3 हजार रुपए क्विंटल कर सकती है. इसके अलावा राजस्थान की तरह मध्य प्रदेश में आयुष्मान योजना में इलाज के लिए 25 लिमिट बढ़ने का ऐलान किया जा सकता है.

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