(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
जाना था जापान, पहुंच गए चीन समझ गए न
किशोर कुमार का गाना और एक आईएएस अधिकारी। बीते दिनों ट्रांसफर हुआ। IAS की दक्षिण की लाबी में दक्षिण के अधिकारी ने गुहार भी लगाई। सीएम हाउस का दरवाजा खटखटाया, लेकिन ये परिक्रमा काम न आई। साहब कलेक्टर बन खंडवा या बुरहानपुर जाना चाह रहे थे, लेकिन मंत्रालय में सचिव बनाकर पटक दिया। साहब का कलेक्टरी का अरमान अब सचिव बनाकर बाबू गिरी तक रहा गया है।
कंफर्म टिकट से भी टेंशन
चुनाव में टिकट पाने के लिए नेताजी क्या-क्या जतन नहीं करते हैं, लेकिन एक नेताजी टिकट पाने के बाद परेशान चल रहे हैं. साहब ने मांगा कहीं और से था मिल कहीं और से गया। अब बाबा महाकाल के दर पहुंचकर मन्नत मांग रहे हैं कि टिकट बदल जाए। खबर तो यहां तक है कि टिकट मिलने के बाद नेताजी ने एक शख्स को फोन लगाया और कहा मेरा राजनीतिक भविष्य खतरे में है. मैं क्या करूं, मुझे बताया जाए। चुनाव में करीब 100 दिन बचे हैं, देखते जाइए अभी बहुत रंग बदलेंगे।
मिशन 2023 में 50 की कमी
बात मध्य प्रदेश चुनाव की है। जहां 2023 की तैयारी के बीच 50 की कमी पड़ गई। जानकारी कर्ताधार्ताओं तक पहुंची। हड़कंप भी मचा। पूरा जोर लगाया गया लेकिन पूरी पूर्ति नहीं हो पाई। माजरा मध्य प्रदेश की 230 सीटों का है। जहां बाहरी विधायकों को भेजने के लिए 230 लग्जरी गाड़ियों का टेंडर दिया गया। लेकिन एक मौके पर एजेंसी ने कह दिया कि 50 गाड़ियां कम पड़ रही हैं। आनन-फानन में पूरा जोर लगाया गया, लेकिन फिर भी पूरी गाड़ियों की पूर्ति नहीं हो पाई। ऐसे में मालवा के आखरी छोर जाने वाले विधायकों के लिए मिनी बस की व्यवस्था की गई।
रिपोर्ट के लिए बाहरी दौरे कैंसिल
मध्य प्रदेश की 230 विधानसभाओं पर बाहरी 230 विधायकों की तैनाती के चलते क्षेत्रीय दावेदारों ने आगामी सात दिन के अपने बाहरी कार्यक्रम निरस्त कर दिए हैं। क्षेत्र से बाहर के अपने कार्यक्रम तो निरस्त किए ही दिए साथ ही अपनी विधानसभा में ऐसे एक्टिव होने की तैयारी कर रखी है। जैसे विधानसभा का प्रतिनिधित्व उन्हीं के जिम्मे हो। अधिकांश स्थानों पर क्षेत्रीय विधायक राखी के त्योहार को लेकर बड़ी प्लानिंग के साथ मैदान में हैं, तो पहली दफा दावेदारों ने भी चहेता भाई बनने के लिए कार्यक्रम की जानकारी क्षेत्रों में प्रसारित करना शुरू कर दिया है। विधायक और दावेदारों की अपनी प्लानिंग हो, लेकिन इस तैयारी में जुटे नेताओं का ये कतई नहीं भूलना चाहिए कि सप्ताह भर तक विधानसभा की खाक छानने वाले ये महज बाहरी विधायक नहीं हैं, बल्कि शाह की टीम के सदस्य ही हैं।
चर्चा जोरों पर है
मध्य प्रदेश में चुनाव को लेकर बीजेपी ने टिकट बांटना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने पहली सूची जारी कर बाजी तो मार ली है, लेकिन बीजेपी की इस सूची के बाद कई दावेदारों की नींद उड़ी हुई है। इस सूची में दल बदल कर सरकार बनाने वाले पूर्व विधायकों का टिकट भी काटा गया है। लिहाजा प्रदेश कार्यालय से लेकर दिल्ली तक अंदरूनी तौर पर खलबली मची हुई है। दलबदल के समय कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विधायक और वर्तमान विधायकों के साथ कई मंत्री भी बैचेन हैं। इस सूची के बाद पिछले उप चुनाव में हार का समाना कर चुकी एक महिला मंत्री 4 घंटे तक बीजेपी कार्यालय में बैठी रही। वहीं ग्वालियर चंबल से आने वाले एक मंत्री जिनका रिपोर्ट कार्ड भी सही नहीं है। वह भी टिकिट बचाने की जुगत में लगे हुए हैं! चर्चा जोरों पर है कि सरकार बनाने वाले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए पूर्व विधायक, मंत्री इस बार टिकट को लेकर बैचेन हैं। बैचेन हों भी क्यों न, उनके टिकट की गांरटी केवल उप चुनाव और वर्तमान सरकार के कार्यकाल तक थी. अब गारंटी खत्म हो चुकी है।
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