मनीषा त्रिपाठी, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में प्राइवेट स्कूल की मोनोपाली पर ब्रेक लगेगा। स्कूल संचालक पेरेंट्स पर नई यूनिफॉर्म और बुक्स के लिए दबाव नहीं बना पाएंगे। कोई भी प्राइवेट स्कूल हर साल नहीं अपना सिलेबस बदल सकता, जब भी बदलेगा तब कलेक्टर और डीईओ से परमिशन लेना जरूरी होगा। सिलेबस और यूनिफॉर्म बदले जाने की जानकारी एक साल पहले देनी होगी। पेरेंट्स पर दबाव बनाने पर स्कूलों पर FIR होगी।

प्राइवेट स्कूलों की मनमानी से अभिभावक काफी परेशान हो चुके हैं। ऐसे में 1 अप्रैल से प्राइवेट स्कूलों के नए सत्र की शुरुआत हो चुकी है। लेकिन अब निजी स्कूलों की मोनोपोली पर ब्रेक लगाया जा रहा है। 2024-25 के सत्र के लिए लगभग सभी अभिभावकों ने अपने बच्चों के लिए नई यूनिफॉर्म और किताबें साथ ही साथ स्कूल के लिए लगने वाली सभी सामग्री खरीद ली है। लेकिन अब कलेक्टर की नजर प्राइवेट स्कूलों पर बनी हुई है।

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जिसके चलते अगली एक हफ्ते में कलेक्टर द्वारा एक आदेश जारी किया जाएगा और साफ सीधे तौर पर स्कूल संचालकों से कहा गया है कि वह अपने शैक्षणिक सत्र की किताबों, स्कूल यूनिफॉर्म या किसी भी सामग्री में हर साल (Every Year) कोई बदलाव नहीं कर सकते और अगर सिलेबस या किसी भी अन्य शैक्षिक सामग्री में बदलाव होगा, तो उसकी जानकारी अभिभावकों को एक साल पहले ही जानकारी देनी होगी। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो स्कूल पर एफआईआर दर्ज की जाएगी।

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जब भी कोई प्राइवेट स्कूल अपने सिलेबस या शैक्षिक सामग्री में बदलाव करता है तो उससे पहले उससे कलेक्टर और DEO से परमिशन लेना जरूरी होगा। इसके लिए एसडीएम और तहसील स्तर पर एक जांच टीम भी बनाई गई है, जो जांच टीम सभी निजी स्कूलों पर अपनी पहली नजर बनाए रखेगी और अगर किसी स्कूल द्वारा किसी भी नियम का उल्लंघन किया जाता है तो उसे पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश भी दिए जाएंगे।

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