नई दिल्ली। हमारे गांव-गांव में लोग राम राज्य की कल्पना करते हैं. उसी राम राज्य को लाने के लिए यह विधेयक लाया गया है. आपने तो गांधी को ब्रांड के रूप में उपयोग किया है. अगर कोई गांधीजी के सपनों को साकार करने का काम कोई कर रहा है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार कर रही है. इसके लिए मैं बधाई देना चाहता हूं. यह बात रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक पर चर्चा के दौरान कही.
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रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में विधेयक को लेकर अपनी बात रखते हुए कहा कि देश के इतिहास में पहली बार एक ऐसा बिल लाया गया है, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाएगा, भारत के गांवों को स्वावलंबी बनाएगा, गांवों को बेरोजगारी से मुक्त करेगा. गांवों को साधन से युक्त करेगा. गांवों को सिंचाई से युक्त करेगा. गांवों को संसाधन से युक्त करेगा. गांवों को सड़क, पानी और बिजली मिलेगी. जल संसाधन मजबूत होंगे. धान, सूखा और भूकंप आने पर गांवों में महामारी आएगी, तो ऐसी महामारी आने पर उसका सामने करने की विधेयक शक्ति प्रदान करेगी.
विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)
उन्होंने कहा कि प्रभु रामजी का मंदिर पांच सौ साल तक नहीं बना था. प्रभु रामजी ने जब चाहा तो मंदिर बन गया. अब प्रभु रामजी चाहते हैं कि गांव का विकास हो, विकसित भारत के साथ-साथ विकसित गांव बने. विधेयक का पूरा अर्थ बताते हुए सांसद ने कहा कि वी का मतलब है विकसित, बी का मतलब है भारत, जी का मतलब है गारंटी, और आर का मतलब है रोजगार, ए का मतलब है आजीविका, एम का मतलब है मिशन, और जी का मतलब ग्रामीण है. यह अपने आप आ गया. देश में राम राज्य लाने के लिए मैं प्रधानमंत्री को बधाई देता हूं.
पुरानी योजना की गिनाई खामियां
पुरानी योजनाओं की खामियों को गिनाते हुए बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि गड्ढे खोद देते थे, गड्ढे भर देते थे. क्या निर्माण का काम हुआ, इसकी कोई जानकारी नहीं होती थी. उसमें कितने भ्रष्टाचार हुआ, कितनी जांचें हुई, कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई. मनरेगा को कांग्रेस ने अपनी जेब भरने का साधन बना लिया था. भर्ती मस्टररोल का साधन बना लिया था. आज उसमें सुधार करने का काम कृषि मंत्री शिवराज सिंह कर रहे हैं. वे ग्रामीण परिवेश से आते हैं, वे खेती-किसानी से आते हैं. आज वे मंत्री हैं. मैं बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने अच्छा विधेयक लाया है.
1977-78 में हुए अजूबे का किया जिक्र
पूर्व की स्थिति की जानकारी देते हुए सांसद ने कहा कि देश के गांव के बारे में 1960 में सोचा गया, 1971 में, 1980, 1994 में भी 1999 में 1977-78 में तो एक अजूबा हो गया. तो काम के बदले अनाज देंगे. प्रमुख अर्थशास्त्री अमृत्य सेन ने कहा था कि गांव को खाने के लिए दवाई खरीदनी होगी, तो कहां से खरीदेंगे. देश के आयोग ने कहा कि एक रुपए के अनाज के पीछे तीन रुपए खर्च कर रहे हैं. दो रुपए ट्रांसपोर्टेशन पर खर्चा कर रहे हो. अनीति करने वाले लोगों के साथ अन्याय करने वाले लोग आज यहां खड़े होकर बात कर रहे हैं.
काम के बदले अनाज योजना पर प्रहार
रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि अध्यक्ष कोटा से आते हैं, तो अगले महीने की इनकी तनख्वाह कोटा की कचौड़ी के तौर पर दे दिजिए. राहुल गांधी को हरियाणा की जलेबी पसंद है. उनकी तनख्वाह जलेबी के रूप में दे दिजिए. क्या आप इसको स्वीकार करेंगे? जब आप इसे स्वीकार नहीं करेंगे तो फिर आपने इतना अन्याय क्यों किया था, तो फिर आपने लोगों को काम के बदले अनाज देकर उनके रोजगार को छिनने का काम किया था.
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