मोसीम तड़वी, बुरहानपुर। खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा उपचुनाव के रण में प्रमुख दल बीजेपी-कांग्रेस ने तैयारियां तेज कर दी है. इस उपचुनाव में कांग्रेस का दमोह मॉडल और बीजेपी का शाह फार्मूला आमने-सामने होगा. कांग्रेस दमोह मॉडल के बूते अपनी जीत का दावा कर रही है. वहीं बीजेपी शाह फार्मूला के चलते अपनी जीत की बात कह रही है.

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खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है. दोनों पार्टियों ने अपने-अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए कमर कस ली है. हाल ही में कांग्रेस ने दमोह उपचुनाव को विपरित परिस्थितियों में अपने कब्जे में किया, लिहाजा दमोह उपचुनाव की जीत में जो मॉडल अपनाया गया कांग्रेस उसी दमोह मॉडल को खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा उपचुनाव में अपनाने का दावा कर रही है. बल्कि इसी मॉडल के सहारे अपनी जीत का भी दावा कर रही है.

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दमोह उपचुनाव की तरह यहां भी कांग्रेस को चुनाव जिताने की जिम्मेदारी लोकल नेताओं की रहेगी. बूथ, सेक्टर और ब्लॉक लेवल के पदाधिकारियों को 1 अक्टूबर से ट्रेनिंग भी दी गई. 4 दिवसीय ट्रेनिंग के बाद सभी पदाधिकारी अपनी-अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे. वोटर्स को अपने पक्ष में करने गांव- कस्बे के नेता भाजपा सरकार की नाकामियां बताएंगे. वहीं कमलनाथ और मनमोहन सरकार के विकास कार्यों का लेखा-जोखा उनके सामने रखेंगे.

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पूर्व मंत्री सचिन यादव के मुताबिक कांग्रेस उपचुनाव में महंगाई, बेरोजगारी और कोरोना संकट जैसे हालातों पर सरकारी की नाकामी जनता को बताएगी. प्रचार या सभाओं में मोदी-शिवराज से ज्यादा लोकल नेताओं को टारगेट पर रखा जाएगा. इसी तरह लोकल मुद्दों में सड़क, पेयजल, बिजली समेत किसान कर्ज, प्राकृतिक आपदा, सूखे की मार, बढ़ते अपराध आदि मामले उठाएंगी.

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वहीं बीजेपी खंडवा लोकसभा उपचुनाव के साथ-साथ तीनों विधानसभा उपचुनाव में शाह फार्मूला पर अमल करेंगी, बल्कि यह कहें कि बीते दो महीनों से पार्टी ने इस पर अमल करना शुरू कर दिया है. इस फार्मूले के तहत केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने पर अपना बूथ सबसे मजबूत का फार्मूला शुरू किया गया था. जिसमें हर बूथ पर 5 कार्यकर्ता व उनके 20 समिति सदस्य रहेंगे. यह सदस्य अपने बूथ की वोटर लिस्ट के पेज प्रभारी व पन्ना प्रभारी रहेंगे.

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बीजेपी कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी रहेगी वह अपने पन्ने में या पेज में आने वाले मतदाताओं से सतत संपर्क करें केंद्र व राज्य सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं की उन्हें जानकारी दें. अगर किसी ने योजना का लाभ लेने से वंचित रह गया तो योजना का लाभ दिलाने में उसकी मदद करें. इस काम के लिए बीजेपी संगठन व जनप्रतिनिधी पूरी मदद करते हैं. उसके बाद इन योजनाओं व कार्यक्रम के प्रचार के मद्देनजर मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाकर बीजेपी के पक्ष में मतदान कराने की जिम्मेदारी रहेगी. यह ही शाह फार्मुला जीत का मंत्र है और इसे ही बीजेपी उपचुनाव में अपनाएगी.

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