शरद पाठक, छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा का जिला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। पूरे अस्पताल में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा हुआ है। दुर्गंध से मरीजों का अस्पताल में रहना दूभर हो रहा है। अस्पताल के शौचालय गंदगी से भरे हुए हैं। सीढ़ियों पर लोगों ने इतनी ज्यादा गंदगी फैला दी है कि वहां से निकलना मुश्किल हो गया है। गंदगी के इस माहौल में अस्पताल का स्टाफ भी काम नहीं करना चाहता, इसलिए अक्सर अपनी सीट से नदारद रहता है। इसके कारण मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और वे यहां-वहां भटकते रहते हैं। बिजली चली जाने पर जनरेटर भी नकारा साबित होते हैं, जिससे सारे उपकरण ठप पड़ जाते हैं।

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अस्पताल में अव्यवस्थाओं को लेकर आज कांग्रेस ने जिला अस्पताल पर धरना भी दिया और सुनवाई ना होने पर पुतला दहन की चेतावनी दी, तब जाकर प्रशासन ने उनसे बात की और व्यवस्थाओं को सुधारने का आश्वासन दिया। बता दें कि करोड़ों रुपए की लागत से बना यह जिला अस्पताल कुछ ही सालों में बदहाली की कगार पर पहुंच गया है। आलम यह है कि लाखों रुपए सिक्योरिटी और साफ-सफाई के नाम पर खर्च होने के बावजूद भी पूरे जिला अस्पताल में कहीं पर भी खड़े रहने के लिए भी साफ जगह नहीं मिलती है। अस्पताल परिसर, लॉबी और वार्ड से लेकर बाथरूम और छत तक हर जगह गंदगी का ढेर लगा हुआ है। अस्पताल में मरीजों को जो पानी पीने को मिलता है उन टंकियों के ढक्कन गायब है। टंकियों में तमाम तरह की गंदगी देखी जा सकती है, जिसमें शराब की बोतलें भी शामिल हैं। सवाल उठता है कि अगर मरीजों को इस तरह का गंदा पानी पीने को मिलेगा तो वह कैसे स्वस्थ हो सकते हैं। अस्पताल के बाथरूम पूरी तरह गंदगी से लबालब भरे हुए हैं। वहां पर किसी मरीज का जाना तक संभव नहीं है, इसलिए लोग शौचालय की जगह भवनों के पीछे गंदगी कर रहे हैं।

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इस गंदगी भरे माहौल के कारण अस्पताल का स्टाफ भी अक्सर गायब रहता है। इस वजह से मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। मरीज के परिजनों ने बताया कि 2 दिन से अस्पताल में पड़े रहने के बावजूद भी ना तो कोई डॉक्टर देखने को आया है और ना ही कोई इलाज शुरू हुआ है, कहीं कोई सुनवाई भी नहीं हो रही है। साथ ही जरा सी बारिश होने पर ऊपरी मंजिल में छत से पानी टपकने लगता है जिससे मरीजों को अपने बिस्तर छोड़ कर किसी सूखे स्थान में शरण लेनी पड़ती है।

सिविल सर्जन ने व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की कही बात

यहां पर बिजली गुल होने की स्थिति में बैकअप के लिए जनरेटर तक चालू नहीं है। बिजली जाने पर पूरे अस्पताल में अफरा तफरी का माहौल हो जाता है और कोई भी जवाबदार व्यक्ति स्थिति को संभालने के लिए सामने नहीं आता। प्रबन्धन द्वारा आम जनता को भरोसा दिलाया जाता है कि हम हर स्थिति से निपटने में सक्षम है। लेकिन अचानक थोड़ी देर के लिए बिजली चली जाने से ही सारे दावों की पोल खुल जाती है। बताया जाता है कि जनरेटर सेट में इतना भी डीजल नहीं रहता कि 1 घंटे के लिए भी अस्पताल को बैकअप मिल सके। वहीं सिविल सर्जन डॉक्टर शिखर सुराना ने व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की बात कही है। साथ ही नदारत रहने वाले कर्मचारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा है।

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