मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है। उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसाय को भी काफी महत्व दिया है। छात्र राजनीति के दौरान ही उन्होंने रेस्टोरेंट खोलकर अपने पैर मजबूत कर लिए थे। इसके बाद जब वे छात्र संघ के अध्यक्ष बने तो उन्होंने खाना खाने के लिए होटल भी खोली।

मोहन यादव का जीवन परिचय
मुख्यमंत्री मोहन यादव का जन्म 25 मार्च सन 1965 को उज्जैन में हुआ था। उनके पिता का नाम पूनमचंद यादव हैं। उनकी शादी सीमा यादव से हुई हैं। मुख्यमंत्री यादव के दो बेटे और एक बेटी हैं। मोहन यादव के पास बीएससी, एलएलबी, एमए, एमबीए और पीएचडी सहित कई शैक्षणिक डिग्रियां भी हैं। वह 2013 में उज्जैन दक्षिण सीट से पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद 2018 में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में, वह एक बार फिर चुने गए और उज्जैन दक्षिण सीट के विधायक बनाए गए। उज्जैन दक्षिण से विधायक रहे मोहन यादव को मध्य प्रदेश का 19वें मुख्यमंत्री के रूप में सेवारत हुए है।

होटल को करते थे संचालित
सन 1984 में जब मुख्यमंत्री मोहन यादव छात्र संघ के अध्यक्ष पद पर चुनाव जीते तो उन्होंने छात्र राजनीति में अपना परचम लहरा दिया। तब मुख्यमंत्री मोहन यादव खुद चर्चा में रहे। जानकारों की माने तो साल 1982 में उनकी तंबाकू बाजार इलाके में चाय और पोहे की दुकान हुआ करती थी। तब वे छात्र राजनीति के साथ पढ़ाई भी किया करते थे। उस जमाने में वह व्यवसाय के रूप में होटल संचालित करते थे।

मुख्यमंत्री ने बनाए समोसे
विधायकी कार्यकाल के दौरान जब मुख्यमंत्री मोहन यादव फ्रीगंज के एक रेस्टोरेंट पहुंचे तो वहां पर समोसे बना रहे होटल व्यवसायी को अलग करते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव ने खुद समोसे बनाए। इस दौरान उन्होंने एक रोचक किस्सा भी सुनाया। उन्होंने बताया कि, वे होटल व्यवसाय से जुड़े रहे है। जिसके चलते उन्हें खान-पान का काफी शौक है।

जानकारी के लिए बतादें कि 58 वर्षीय मोहन यादव का राजनीतिक करियर सन 1984 में शुरू हुआ था। जब उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। वह आरएसएस के भी सदस्य रहे है। इसके बाद सीएम मोहन यादव ने 2013 में उज्जैन दक्षिण से चुनाव लड़ा और लगातार तीसरे चुनाव में यहां से विधायक बने।

ऐसा था मोहन यादव का छात्र जीवन
जब सीएम मोहन यादव छात्र राजनीति के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का ध्वज उठाकर चल रहे थे, तब उज्जैन और उसके आसपास के इलाके भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन का दबदबा हुआ करता था। इसके बाद भी सीएम मोहन यादव ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को मजबूती के साथ स्थायित्व दिलाने में पूरी मदद की थी।

जब उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और आगे बढ़े तो संघ और भारतीय जनता युवा मोर्चा के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी के लिए भी काम करना शुरू कर दिया। इस समय भी उन्होंने अपने वक्त को बचा कर व्यवसाय करना जारी रखा था। वे काफी मेहनती थे। उन्होंने कई प्रकार के व्यवसाय करने के साथ खेती भी की। जिससे उनकी काफी आय हुई। बीजेपी के सूत्र बताते हैं कि, उच्च शिक्षित मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अपनी उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए अपनी पसंद से शिक्षा मंत्रालय मांगा था।

बतादें कि, मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव आज यानी 25 जनवरी को रवींद्र भवन में नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में शामिल हुए। जहां सीएम ने MPPSC में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र सौंपा। कार्यक्रम में उन्होंने अभ्यर्थियों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने अपने राजनीतिक करियर को लेकर कई बड़े खुलासे किए।

अभ्यर्थी अंकित चौबे ने सीएम से पूछा कि जिंदगी में दोस्तों का अहम योगदान होता है। आपकी राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका किसकी रही है? इसके जवाब में सीएम ने कहा कि हमारे काम के अपने तरीके हैं। कॉलेज लाइफ से छोटी होटल से काम शुरू किया। फिर छात्र राजनीति में आया। होटल में काम करने के साथ-साथ राजनीति और पढ़ाई की। दोस्तों की मदद मिली। वह मित्र आज भी मदद करते हैं। सहायता करने वाले लोग होने ही चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि कोई भी काम करें ईमानदारी से करें।100 बार सोचें फिर पहला कदम उठाएं। जिनसे गलती हुई उन्हें मांफ करें। दोस्ती कभी बदलती नहीं है। जीवन जो नजदीक आ रहा है, उसे निभाने की ताकत ही सफलता की निशानी है।

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