मनीषा त्रिपाठी, भोपाल। मध्य प्रदेश में 1034 मूक-बधिर बच्चों में लगाई गई कोकिलर इंप्लांट मशीन खराब होकर बंद होने लगी हैं। इसे सही कराने के लिए प्रत्येक मशीन में करीब 85 हजार से एक लाख तक का खर्च आ रहा हैं। वहीं मूक-बधिर के अभिभावक मशीन में सुधार कराने की आस में बच्चों को लेकर सीएमएचओ कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन उन्हें वहां से योजना नहीं होने का हवाला देकर लौटाया जा रहा है।
1034 बच्चों को लगाई गईं थी कोकिलर इंप्लांट मशीन
दरअसल, एक-एक कर ऐसे कई बच्चे सामने आ रहे हैं, जो मशीन बंद होने से फिर से मूक-बधिर हो चुके हैं। मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत प्रदेश में 1034 बच्चों का आपरेशन कर मशीनें लगाई गई थीं। भोपाल में ऐसे बच्चों की संख्या 102 है। इनमें से प्रदेश के करीब 85 बच्चों की मशीनों में खराबी आ चुकी है।
सुधार में 85 हजार से अधिक का खर्च
वहीं इसे सुधार कराने के लिए प्रत्येक मशीन में 85 हजार से एक लाख तक का खर्च आ रहा है। अभिभावक मशीन में सुधार कराने की आस में बच्चों को लेकर सीएमएचओ कार्यालय के चक्कर भी काट रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। कहा जाता है कि मशीन ठीक करने की योजना नहीं है।
2009 से शुरू हुई थी बाल श्रवण योजना
बता दें कि साल 2009 से बाल श्रवण योजना शुरू हुई थी। जिसमें बीपीएल परिवार के बच्चों के लिए सर्जरी व मशीन निशुल्क है। अभी राजधानी में यह आपरेशन चिरायु, दिव्या ईएनटी क्लीनिक हजेला हास्पिटल और एम्स भोपाल में किया जा रहा है। यहां से ही बच्चों को मशीन लगाकर दी जाती है।
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