राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्य प्रदेश में एक तरफ जहां कोरोना पर जमकर सियासत हो रही है, वहीं अब दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मैहर दौरा को लेकर राजनीति शुरु हो गई है. इस दौरे को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा है कि यह कमलनाथ का मिशन विंध्य है. 28 मई को कमलनाथ का मैहर के दौरे पर जाएंगे.
बता दें कि विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर अपने ही पार्टी और सरकार से मैहर के बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी नाजार चल रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ शिवराज के मंत्रिमंडल में विंध्य को जगह नहीं मिलने से बीजेपी में जमकर नाराजगी देखी गई है. हालांकि अब कमलनाथ के इस दौरे को लेकर यही कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या कांग्रेस विंध्य की नाराजगी को भुनाने पर फोकस कर रही है?
ये है विंध्य का सियासी समीकरण
विंध्य क्षेत्र के सिर्फ तीन विधायकों को शिवराज के मंत्रिंमंडल में जगह मिली है. सरकार ने सतना के अमरपाटन से रामखेलावन पटेल, अनूपपुर से बिसाहुलाल सिंह और उमरिया के मानपुर से विधायक मीना सिंह को मंत्री बनाया है. वहीं रीवा के जिले के देवतालाब से गिरीश गौतम को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर बीजेपी ने समीकरण बैठने की कोशिश की है. जिसको को लेकर राजनीतिज्ञों का मानना है कि इस समीकरण को कमलनाथ विंध्य को साधने की कोशिश कर रहे हैं.
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ये है विंध्य का राजनैतिक गुणा गणित
विंध्य में 7 जिले सतना, रीवा, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया और अनूपपुर हैं. जिसमें कुल 30 विधानसभा सीटें हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को रिकॉर्ड 24 सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस को मात्र 6 सीटें मिलीं.
नाथ के दौरे पर नारायण का बयान
पूर्व सीएम कमलनाथ के दौरे को बीजेपी सियासी नजरों से देख रही है. जिसको लेकर बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी कहा कि कमलनाथ जाने कि विंध्य में वे क्या तलाश रहे हैं, जानकारी मिली है कि वे 28 मई को आ रहे हैं. लेकिन इससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारा विंध्य प्रदेश बनेगा, विंध्य प्रदेश बनाना ही पड़ेगा और हम विंध्य प्रदेश बनाकर ही रहेंगे. केंद्र में मोदी सरकार है तो विंध्य प्रदेश से कांग्रेस का कोई लेना देना नहीं है. अभी कोराना की वजह से पृथक विंध्य प्रदेश का आंदोलन रूका हुआ है. बता दें कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार के दौरान बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने विधानसभा में बीजेपी के खिलाफ क्रॉस वोटिंग की थी.
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