अमृतांशी जोशी, भोपाल। मध्यप्रदेश में एक बार फिर पशु क्रूरता का मामला सामने आया है। जहां एक स्ट्रीट डॉग और उसके बच्चों को जलाकर मार डाला। यह तस्वीर बेहद ही संवेदनहीन है। इन बेजुबान जानवरों के साथ अमानवीय हरकत करने से नहीं लोग बाज नहीं आ रहे है।
प्रदेश की राजधानी भोपाल में पहले फीमेल डॉग को जहर दिया गया। जिससे उसकी मौत हो गई। इतना ही नहीं बदमाशों ने उसके नवजात बच्चों को भी नहीं छोड़ा। नवजात बच्चों को आग में जलाकर मौत की नींद सुला दिया। इसे लेकर पशु प्रेमी संगठनों में काफी आक्रोश है। पशु प्रेमियों ने इसका विरोध करते हुए दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
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क्या है पशु क्रूरता अधिनियम
देश में पशुओं के खिलाफ क्रूरता को रोकने के लिए साल 1960 में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम लाया गया था। भारतीय दंड संहिता 428 और 429 के मुताबिक किसी पशुओं को जबरदस्ती मारना, अपंग करना या बेवजह दंड देने पर कानून के खिलाफ होगा। इसे अपराध के रूप में जाना जाएगा।
इस अधिनियम का उद्देश्य पशुओं को अनावश्यक सजा या जानवरों के उत्पीड़न की प्रवृत्ति को रोकना है। इस एक्ट में कई तरह के प्रावधान शामिल है। अगर कोई पशु मालिक अपने पालतू जानवर को आवारा छोड़ देता है, या उसका इलाज नहीं कराता, भूखा-प्यासा रखता है तो ऐसा व्यक्ति पशु क्रूरता का अपराधी होगा। अगर कोई किसी पशु को मनोरंजन के लिए अपने पास रखता है और उसके साथ क्रूरता का व्यवहार करता है तो वह भी अपराध है।
एंटी बर्थ कंट्रोल 2001: यह नियम आवारा कुत्तों के लिए है। उन्हें किसी भी अवस्था में मारना गैर कानूनी होगा। स्थानीय प्रशासन पशु कल्याण संस्था के सहयोग से आवारा कुत्तों का बर्थ कंट्रोल ऑपरेशन किया जा सकता है लेकिन उन्हें किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाना बिल्कुल सही नहीं है।
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