दमोह/भोपाल। मध्यप्रदेश के दमोह जिले के गंगा जमना स्कूल में हिजाब (Hijab) को लेकर कलेक्टर मयंक अग्रवाल और एसपी राकेश कुमार सिंह ने बड़ी जल्दबाजी दिखाई थी. एसपी-कलेक्टर ने उसी दिन ट्वीट कर स्कूल को क्लीन चिट दे दी थी. हिजाब को स्कॉर्फ बताकर ड्रेस कोड होना बताया था. अब सोशल मीडिया में ट्वीट को लेकर कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा है कि जांच के बिना ट्वीट या बयान नहीं नहीं देना चाहिए. कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश हैं कि ऐसे ट्वीट सामाजिक कानूनी व्यवस्था के विपरीत है.

कोर्ट ने अपने टिप्पणी में लिखा है कि प्रकरण की गंभीरता और संबंधित स्कूल के बालक बालिकाओं पर पड़े मानसिक दुष्प्रभाव को दृष्टिगत रखे. जिले के उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे मामले की अपेक्षित जांच के बिना, मामले की गंभीरता और उनके दूरगामी परिणामों को देखते हुए सोशल मीडिया पर आकस्मिक बयान और ट्वीट किये जाने से बचें. क्योंकि इस तरह के ट्वीट मामले में विसंगतियों और विरोधाभाषी परिस्थितियों को उत्पन्न करते हैं. सामाजिक कानूनी व्यवस्था को विपरीत तौर पर प्रभावित करते हैं.

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बता दें कि बीते दिनों दमोह के गंगा जमना स्कूल में हिंदू लड़कियों को हिजाब (Hijab) पहनाकर टॉपर्स की लिस्ट में दिखाने का मामला सामने आया था. स्कूल की एक महिला टीचर का धर्मांतरण (conversion) कर उन्हें मुस्लिम बनाया गया है. स्कूल की प्रिंसिपल खरे अफसरा शेख बनी है. इतना ही नहीं आयोग की टीम ने स्कूल संचालक के पास हजारों एकड़ जमीन के सबूत मिले है. जिसके बाद विदेशी फंडिग की पूरी संभावना जताई जा रही है. जिसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) के निर्देश पर स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई है.

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