यत्नेश सेन, देपालपुर। देशभर में होली (Holi Special) का त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। पूरे देश में जहां आज के युग में माचिस से आग जलाकर होलिका का दहन होता है। वहीं मध्य प्रदेश के एक गांव में आज भी आदि मानव काल की परंपरा निभाई जाती है। इंदौर के देपालपुर में एक अनोखी और प्राचीन परंपरा देखने को मिलती है। यहां धाकड़ सेरी मोहल्ले में चकमक पत्थरों से आदिमानव काल की तरह ही आग उत्पन्न कर होलिका का दहन किया जाता है। इस कार्य को नगर पटेल रामकिशन धाकड़ अंजाम देते हैं, जिनकी यह नौवीं पीढ़ी है।

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अलसुबह शुभ मुहर्त में होलिका दहन होगा व शाम 3 बजे के बाद नगर के ठाकुर मोहल्ले की गैर आती है। नगर पटेल को आमंत्रित कर गल देवता मैदान पर ढोल बजाकर व निशान लेकर ले जाते हैं और 6 फिट लंबी चुल में धधकते अंगारों के बीच नगर के पटेल सबसे पहले चुल की पूजा कर स्वयं धधकते अंगारों पर से निकलकर गल बाबा की पूजा करते हैं, फिर अंगारों से निकलते है मनन्तधारी.. इसी के साथ एक दिवसीय मेले का शुभारंभ होता है।

बताया जाता है कि यह आदि मानव के समय की प्राचीन प्रक्रिया है, जिसमें पत्थरों को रगड़ कर अग्नि पैदा की जाती थी। वहीं आज भी उसी प्रकार से यहां प्राचीन काल के इन सफेद कलर के चकमक पत्थरों को रगड़ कर चिंगारी से आग लगाकर होली जलाई जाती है, जो कि पूरे देश में एकमात्र होली जलाने की प्रक्रिया बताई जाती है, जिसे देखने के लिए कई प्रदेशों से लोग यहां पहुंचते हैं।

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