रेणु अग्रवाल, धार। भोजशाला में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के सर्वेक्षण का आज दूसरा दिन था। जांच टीम के साथ हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के लोग मौजूद रहे। भोजशाला परिसर के अंदर और बाहर कार्बन डेटिंग के माध्यम से जांच की गई। वहीं बाहर की ओर आज खुदाई भी की गई, साथ ही कार्बन डेटिंग के माध्यम से भोजशाला के पिलर और नीव की जांच की गई। भोजशाला के पत्थरों की उम्र को जांचा जा रहा है।

अब्दुल समद ने कहा कि समाज का कार्यकर्ता हूं तो हाजिर होना जरूरी है। माननीय उच्च न्यायालय का हम अदब करते हैं। मैं हाजिर होने के लिए जा रहा हूं। जो संविधान के दायरे में आकर उच्च न्यायालय ने जो आदेश दिए हैं, उसका पालन करना है। अगर सर्वे हो तो कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जो नए मुद्दे पैदा किए जा रहे हैं। कुछ स्तंभ बाद में लाकर रखे गए हैं। 2004 में वह स्तंभ रखे गए हैं। हमने उसकी आपत्ति भी ली है और आवेदन भी दिया है। तमाम जनप्रतिनिधियों ने इसका विरोध किया और आज इसको सर्वे में शामिल भी किया जा रहा है। यह एक प्रश्न चिन्ह है, एक मूर्ति भी रखी गई, यह सब के संज्ञान में है। हम नए सर्वे का विरोध कर रहे हैं।

Dhar Bhojshala Survey: तकनीकी उपकरणों के साथ भोजशाला पहुंची ASI की टीम, आज मुस्लिम पक्ष के अब्दुल समद भी रहेंगे मौजूद

याचिकाकर्ता आशीष गोयल ने कहा कि उच्च न्यायालय के परिपालन में भारतीय पुरातत्व विभाग के द्वारा वैज्ञानिक सर्वे किया जा रहा है। सर्वे का आज दूसरा दिन था। सुबह 8 बजे से लेकर शाम को 6 बजे तक सर्वे हुआ। न्यायालय ने जो विभिन्न टेक्निक्स बताया है, उन्ही टेक्निक्स के आधार पर सर्वे हो रहा है। क्या पाया है यह तो एएसआई के द्वारा ही डिक्लेयर किया जाएगा। सर्वे धीरे-धीरे अपनी गति पकड़ रहा है। आज सुबह से कार्बन डेटिंग जीपीएस टेक्नोलॉजी सीपीआर टेक्नोलॉजी है, जो भी नई तकनीक से उसके हिसाब से आज दिन भर काम हुआ है।

भोजशाला मुक्ति संगठन के संयोजक ने कही ये बातें

भोजशाला मुक्ति संगठन के संयोजक गोपाल शर्मा टीम के साथ मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि आज प्रक्रिया चालू हुई है। कल की प्रक्रिया से आज आगे बढ़े हैं। जिन-जिन बिंदुओं पर हाईकोर्ट में आदेश दिया है। संसाधनों का उपयोग करने का आदेश दिया है। उन सब का उपयोग प्रारंभ हो चुका है। जिन बिंदुओं को लेकर हमने याचिका दायर की थी उसके सुखद परिणाम सामने आने लगे हैं। जो-जो प्रक्रिया सर्वे में होती है, वह सारी प्रक्रिया अपनाई गई है। जो अयोध्या, काशी और ज्ञानवापी में अपनाई गई है। निश्चित ही सारे परिणाम सुखद आएंगे। हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह का समय दिया है। आवश्यकता लगी तो समय बढ़ाने की मांग भी की जा सकती है। भोजशाला के अंदर- बाहर वैज्ञानिक तकनीक है, वह सारी तकनीक अपनाई है। कल फिर सर्वे होगा, एक टीम अंदर काम कर रही है। दो टीम पीछे की ओर काम कर रही है। इन्होंने अपनी पूरी टीम तीन भागों में बांट रखी है और तीनों टीम अपना-अपना काम कर रही है।

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