रेणु अग्रवाल,धार। मध्यप्रदेश के धार जिले का कारम डैम भ्रष्टाचार की भेट चढ़ गया. 305 करोड़ के फूटे डैम की जांच करने के लिए पहुंची टीम ने कुछ ही मिनट में जांच पूरी कर ली. इस दौरान लोगों को फोटो वीडियो बनाने की मनाही थी. जांच समिति 5 दिन में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगी. बांध के घटिया निर्माण के लिए जिम्मेदार मानते हुए ठेका लेने वाली दिल्ली की एएनएस कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है. इस डैम पर तकरीबन 100 करोड़ रुपए बांध निर्माण के लिए उपयोग किए गए थे. कंपनी ने अपने सहयोगी ठेकेदार को निर्माण कार्य सौंपा था. उसी ने मिट्टी की पाल बनाई थी. मजबूती का ध्यान नहीं रखा गया और 11 अगस्त को पाल से रिसाव होने लगा.
बांध टूटने की आशंका के चलते तकरीबन 72 घंटे 18 गांव की जिंदगी पर खतरा मंडरा रहा था. देशभर की निगाहें यहीं पर टिकी हुई थी. पूरे मध्यप्रदेश का आला अधिकारी मौके पर मौजूद रहे. पुलिस और जिला प्रशासन की टीम दिन रात काम कर रही थी. दिन-रात गांव को खाली कराने का काम कर रही थी. जल संसाधन विभाग की भ्रष्टाचार की कहानी खुद कारम डैम बयां कर रहा है. जब से डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ, अब तक जितने अधिकारी आए और गए उनकी मॉनिटरिंग में भ्रष्टाचार की कहानी खुद कारम ने बयां कर दी है.
इसे 72 घंटे में पूरे देश ने देखा. सरकार ने जल संसाधन विभाग के अपर सचिव आशीष कुमार के नेतृत्व में दल गठित किया. इसमें राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान क्षेत्रीय केंद्र भोपाल के विज्ञानी डॉ राहुल कुमार जायसवाल, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता दीपक सातपुते और संचालक बांध सुरक्षा अनिल सिंह शामिल हैं. दल बांध के क्षतिग्रस्त होने के कारण निर्माण की गुणवत्ता और जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की जांच करेगा. जांच टीम बुधवार देर शाम करम बांध पहुंची और बांध का निरीक्षण किया. कुछ ही मिनटों में यह टीम वापस चली गई.
शुरुआती जांच के अनुसार परियोजना का ठेका पहले वीआरएस कंपनी को मिला था, लेकिन ई टेंडर घोटाला उजागर हो गया और निविदा निरस्त हो गई. वर्ष 2018 में फिर से टेंडर खुला. जिसके बाद ठेका एएनएस कंपनी को मिला. ठेका लेते ही कंपनी ने सारथी कंपनी को कमीशन पर काम सौंप दिया. इस कंपनी ने भी कमीशन पर आगे काम बढ़ा दिया और एक अन्य ठेकेदार को काम सौंप दिया. अनुबंध के अनुसार कंपनी को 2021 में अगस्त तक बांध तैयार कर देना था.
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन का हवाला देकर कंपनी ने 1 साल का अतिरिक्त समय और ले लिया. अगस्त 2022 में बांध तैयार करना था. वह भी नहीं हुआ. समय सीमा पूरी हो रही थी, तो ठेकेदार ने ताबड़तोड़ मिट्टी की पाल बना दी. बताया जा रहा है कि बांध बनाते समय पानी निकासी का ध्यान नहीं रखा गया. गुणवत्ताविहीन कार्य किया गया. जिससे डैम में रिसाव शुरू हो गया. डैम की मिट्टी और पानी निकासी के लिए छोड़े गए स्थान को देखने के बाद टीम ने वहां से सैंपल लिया. यह दल 5 दिन में अपनी रिपोर्ट शासन को देगी.
306 करोड़ रुपए से बने भ्रस्टाचार के कारम डैम को उजागर हुए आज 8 दिन हो गए, लेकिन अभी तक 2 कंपनी एएनएस कंस्ट्रक्शन और सारथी कंस्ट्रक्शन को ब्लैक लिस्ट किया गया है. लेकिन क्या ब्लैक लिस्ट करने से 18 गांव के ग्रामीणों ने दहशत के 72 घंटे से अधिक गुजारे हैं, जो शरणार्थी बनकर जिंदगी गुजारी है. जिनके खेतों की मिट्टी बह गई है. जिनके आशियाने ढह गए हैं. जिनके पशु मर गए हैं. उनकी भरपाई इन दो कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने से हो जाएगी.
8 दिन बीतने के बाद भी राज्य शासन इन कंपनियों के एमडी और पेटी कांट्रेक्टर के एमडी पर एफआईआर नहीं दर्ज कर पाई है. जांच टीम आई करोड़ों के भ्रष्टाचार को चंद मिनटों में निरीक्षण करके चली गई. ऐसे में सच सामने कैसे आएगा. इस कंपनी के मालिक नए नाम से नए क्लेवर में फिर नई कंपनी बनाकर कागज पर किसी और को एमडी बनाकर इसी तरह काम करते रहेंगे. ऐसे में यह भ्रष्टाचार कैसे रुकेगा.
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