शरद पाठक, छिंदवाड़ा। बीते कुछ वर्षों में डिजिटल इंडिया (Digital India) ने काफी तेजी से कदम बढ़ाया है। देश में अब अधिकतर लेन देन अब डिजिटल माध्यमों से होने लगे हैं। इस में यूपीआई एक बड़ा ही अहम रोल निभा रहा है डिजिटल युग में भिखारी भी अब खुद को अपडेट कर रहे हैं। भिखारी अब डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) का सहारा ले रहे हैं।
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मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा में रहने वाले भिखारी हेमंत सूर्यवंशी (Beggar Hemant Suryavanshi) की पहचान दूर से ही हो जाती है। क्योंकि भिखारी हेमंत सूर्यवंशी के गले में हमेशा ‘QR CODE’ की तख्ती लटकी रहती है। अगर पैसे मांगने पर कोई कहता है कि छुट्टे पैसे नहीं हैं तो राजू बोलता है कि फोन पे दो, गूगल पे कर दो। भिखारी हेमंत सूर्यवंशी को मध्य़प्रदेश का पहला डिजिटल भिखारी () Beggar Hemant Suryavanshi is the first of Madhya Pradesh Digital beggar) कहा जा रहा है।
भिखारी हेमंत सूर्यवंशी का कहना है कि अधिकतर लोगों से जब वह भीख मांगता था, तो कई लोग चिल्लर नहीं होने का हवाला देते थे। उन्होंने डिजिटल तकनीक का सहारा लेते हुए बारकोड के जरिए भीख लेना शुरू किया है। जो लोग चिल्लर नहीं होने का बहाना करते हैं उनसे वह बारकोड के जरिए भीख लेते हैं।
हेमंत का भीख मांगने का अंदाज भी अलग है। मना करने पर वह कहता है- बाबूजी चिल्लर नहीं तो फोन पे या गुगल पे से भीख दे दो और लोग कुतूहल वश भीख दे भी देते हैं। भिखारी का कहना है कि लोग डिजिटल तकनीक को भीख के लिए इस्तेमाल होते देखने के लिए भीख भी आसानी से बारकोड स्कैन कर दे देते हैं।
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