कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य भारत प्रांत की पहली विधानसभा जिस मोती महल (Moti Mahal) के दरबार हाल में लगती थी, उस दरबार हाल में बीते 15 दिन से ब्लैकआउट (blackout) है। जी हां बिजली विभाग ने मोती महल के दरबार हाल की लाइट (Light) काट दी है। जिसके चलते यहां अंधेरा पसरा है, इन हालातों में यहां आने वाले सैलानी निराश है। बिजली गुल होने के चलते सैलानियों को यहां का पेरिस का झूमर, सोने की नक्काशी और ऐतिहासिक चित्रकारी नज़र नहीं आ रही है।
दरबार हाल को देखने के लिए विदेशी सैलानियों (foreign tourists) को 400 का टिकट लेना पड़ता है। वहीं यहां वीडियोग्राफी (videography) करने के लिए भी 400 का टिकट (Ticket) लगता है। पुरातत्व विभाग (Archaeological Department) के अधीन इस दरबार हाल (Darbar hall) में आजादी के बाद बने मध्य भारत प्रांत की पहली विधानसभा (First Legislative Assembly of Madhya Bharat Province) लगती थी। यहीं पर मध्य भारत प्रांत के राज प्रमुख जीवाजी राव सिंधिया (Jiwajirao Scindia) ने मध्यभारत के पहले मुख्यमंत्री को शपथ दिलाई थी।
आपको बता दें कि सन् 1853 में बने मोती महल के दरबार हाल में सिंधिया रियासत के राजाओं का प्रशासनिक कार्यालय था। गौरतलब है कि संभागीय कार्यालय के शिफ्ट होने के चलते यहां की बिजली काट दी गई है। दरबार हाल के कर्ता-धर्ता बताते हैं कि उन्होंने बिजली मीटर के लिए आवेदन कर दिया है कुछ दिन में बिजली मीटर लग जाएगा।
मोती महल का निर्माण 19वीं शताब्दी में सिंधिया घराने के महाराजा जयाजीराव सिंधिया (Jayajirao Scindia) ने कराया था। कहा जाता है कि मोती महल और जयविलास पैलेस (Jai Vilas Palace) का निर्माण एक साथ कराया गया था। जय विलास पैलेस जहां महाराजा के रहने की जगह थी, तो वहीं मोती महल को प्रशासनिक कामकाज की देखरेख के लिहाज से तैयार किया गया। यही वजह है कि इसे सिंधियाओं का सचिवालय भी कहा जाता है। सबसे अहम बात ये है कि कभी महाराजाओं की शान और शौकत की मिसाल रहा मोती महल आजादी के बाद विधानसभा बना था।
जी हां 1947 में जब देश को आज़ादी मिली तो आजादी के बाद ग्वालियर (Gwalior) को मध्य भारत की राजधानी (capital) बनाया गया। उस वक्त इसी मोती महल में मध्य भारत की विधानसभा बैठा करती थी। तब मध्य भारत में छोटी बड़ी 22 रियासतें शामिल थीं। जीवाजी राव सिंधिया 28 मई 1948 से 31 अक्टूबर 1956 तक राज्य के राजप्रमुख थे और लीलाधर जोशी (Liladhar Joshi) पहले मुख्यमंत्री (Chief Minister) थे। जिन्हें जीवाजी राव सिंधिया ने शपथ दिलाई थी।
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