कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस के 5 ऐसे मजबूत किले हैं, जिन्हें जीतना भाजपा के लिए आज भी सपना बना हुआ है. इन 5 सीटों पर पिछले 32 साल से कमल नहीं खिला है. कांग्रेस को अपने किले बरकरार रहने की उम्मीद है, तो वही बीजेपी का दावा है कि मोदी की आंधी में 2023 में कांग्रेस की ये किले भी ढह जाएंगे.
देश में चार राज्यों में BJP की वापसी और पंजाब में हार के बाद कांग्रेस में मायूसी है. इन राज्यों के नतीज़ों का असर अगले साल होने वाले MP, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ेगा. ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस के पांच मजबूत गढ़ जिन्हें बीजेपी के लिए जीतना बड़ी चुनौती रही है. 2023 में बीजेपी के लिए कांग्रेस के इन गढ़ों को जीतना बड़ा मिशन होगा. तो वही कांग्रेस के लिए भी इन किलों को बचाना जंग लड़ने से कम नहीं होगा.
1. राघोगढ़ विधासनभा- राम लहर, उमा लहर, शिवराज मोदी लहर में भी बीजेपी हारी है. खुद 2003 में शिवराज को हार का सामना करना पड़ा.
2. पिछोर विधानसभा- पिछले 29 साल से कांग्रेस के केपी सिंह का कब्जा है.
3. लहार विधानसभा- 32 साल से कांग्रेस के गोविंद सिंह का कब्जा है.
4. डबरा विधानसभा- बीते 14 साल से कांग्रेस का कब्जा. इमरती भी BJP को जिता नहीं पाईं.
5. भितरवार विधानसभा- भितरवार सीट बनने के बाद से लगातार 14 साल से कांग्रेस के पास है. इसके पहले भी गिर्द नाम की इस सीट पर कांग्रेस के लाखन सिंह का कब्जा था.
इन सीटों को कांग्रेस का गढ़ कहा जाता है. डबरा की बात करें तो MP में BJP सरकार होने के बावजूद डबरा में इमरती देवी कांग्रेस के टिकट पर लगातार तीन चुनाव जीती थी. जबकि 2020 के उपचुनाव में BJP की सरकार में आने के बाद BJP के टिकट पर इमरती मंत्री होने के बाद भी हार गई थी. खुद इमरती इस बात को मानती है कि ये कांग्रेस के गढ़ हैं.
भले ही 4 राज्यों में कांग्रेस जीत नहीं पाई और पंजाब को भी गंवा बैठी, उसके बावजूद कांग्रेस को उम्मीद है कि ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस अपने इन 5 किलों पर तो जीतेगी. साथ ही अंचल की दूसरी सीटें और प्रदेश की ज्यादातर सीटें जीतकर सरकार बनाएगी. कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का दावा है कि मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार पूरी तरह फेल हो गई है. लिहाजा जनता अब 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देगी.
इधर भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि ग्वालियर चंबल अंचल में कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया अब भारतीय जनता पार्टी के खेमे में है. लिहाजा भाजपा अंचल की सभी सीटें जीतेगी. जो कांग्रेस के गढ़ हैं, वो मोदी लहर में 2023 के चुनाव में धराशाई हो जाएंगे.
ये तय है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में BJP उन सीटों पर ज्यादा फोकस करेगी, जिन पर पिछले 20 से लेकर 35 साल से नहीं जीत पाई है. इन सीटों पर सीधे दिल्ली आलाकमान की नज़र रहेगी.
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