कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में स्वर्ण रेखा नदी पुनरुद्धार सौंदर्यकरण मामले में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान नगर निगम कमिश्नर, स्मार्ट सिटी सीईओ, सहित कंसल्टेंट कंपनी को कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई। बीती सुनवाई में हाई कोर्ट के दिए निर्देशों और मांगी गई जानकारी पर काम न होने से कोर्ट ने यह नाराजगी जताई और कहा की स्वर्णरेखा नदी, सीवरेज सिस्टम और शहर के गार्बेज को लेकर कोई भी काम धरातल पर नहीं हो रहा है सिर्फ कागजो में लीपापोती की जा रही है। लेकिन अब कोर्ट इस कंफ्यूजन को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। मामले से जुड़े सभी अधिकारी अपने पाले की गेंद को दूसरे के पाले में डाल रहे हैं सिर्फ पिंग पोंग गेम खेला जा रहा है, कोर्ट न्याय देने के लिए होता है ना कि आपके द्वारा पेश किया जा रहे अधूरे दस्तावेजों को सुलझाने क्लर्क का काम करने के लिए होता है। कोर्ट ने 12 अप्रैल को अगली तारीख नियत करते हुए कंसल्टेंट कंपनी से उसके वर्क आर्डर और अभी तक के काम की प्रोग्रेस रिपोर्ट के साथ ही नगर निगम और स्मार्ट सिटी का से याचिका से जुड़ी प्रॉपर जानकारी मांगी है।

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दरअसल मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में ग्वालियर की कभी जीवन दायिनी रही स्वर्ण रेखा नदी को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की जा रही है। गुरुवार को हाई कोर्ट के निर्देश पर शहर के सीवरेज काम को लेकर सर्वे करने वाली REPL कंसल्टेंट कंपनी, नगर निगम कमिश्नर हर्ष सिंह, स्मार्ट सिटी CEO , वन विभाग से डीएफओ सहित नगर निगम के इंजीनियर हाजिर हुए।सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सबसे पहले ग्वालियर सीवरेज काम का सर्वे करने वाली दिल्ली से आई कंसलटेंट कंपनी के अधिकारी से वर्क आर्डर और प्रोग्रेस रिपोर्ट की जानकारी चाही गई जिसे वह देने में असमर्थ नजर आई जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि आप लोग दिल्ली से आए हैं रुपया लेंगे और चले जाएंगे लेकिन काम धरातल पर नजर नहीं आएगा।

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कोर्ट ने जब नगर निगम कमिश्नर हर्ष सिंह से स्वर्ण रेखा नाले को नदी के रूप में वापस लौटाने को लेकर किए काम पर जानकारी मांगी तो हर्ष सिंह ने कहा कि कंसल्टेंट कंपनी ने अब तक नगर निगम क्षेत्र के 66 वार्डो में से 43 वार्डो का सर्वे का काम किया गया है जबकि 23 वार्डो का काम अभी होना बाकी है ऐसी स्थिति में जब पूरा काम सर्वे का हो जाएगा उसके 1 महीने बाद पूरा वर्कफ्लो प्लान तैयार हो सकेगा। जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आपके पास धुरंधर इंजीनियरों की टीम है उसके बावजूद आप लोग काम नहीं कर पा रहे हैं आपसे बेहतर काम तो स्टेट टाइम में सीवर का हुआ है जो अब तक चल रहा है। इतना लंबा समय बीत जाने के बाद भी आप कोर्ट को यह जानकारी नहीं बता पा रहे हैं कि ग्वालियर के 66 वार्डों में से कितने वार्डों में सीवर सही है कहां पर रिपेयर का काम किया जा रहा है और कहां पर सीवर है ही नहीं और इस जानकारी के अभाव में आप लोग ट्रंक लाइन के लिए शासन से रुपए मांग रहे हैं।

लगता है पिंग पोंग गेम खेल रहे हो- कोर्ट 

कोर्ट ने जब स्मार्ट सिटी सीईओ से शहर के अंदर स्वर्ण रेखा के आसपास जाली लगाने का सवाल पूछा तो उसे पर स्मार्ट सिटी सीईओ ने शासन का हवाला देते हुए नगर निगम को इस काम को अंजाम देने की बात कोर्ट को बताई जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करी और कहा कि आप लोग अपने पाले की गेंद को दूसरे के पाले में डाल रहे हैं लगता है जैसे पिंग पोंग गेम खेल रहे हो, शहर के चौक चौराहों को रंग-बिरंगे फब्बारे लगाकर आप लोग करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं जबकि शहर की मूलभूत आवश्यकता पर बिल्कुल भी काम नहीं किया जा रहा है, वास्तविक जरूरत पर कम होने की जरूरत है ना की कॉस्मेटिक से जुड़े मुद्दों पर काम की जरूरत, सिर्फ 2 करोड रुपए के जाली लगाने के काम पर आप लोग इस जरुरी मुद्दे की अहमियत को नहीं समझ रहे हैं। आप लोग पब्लिक मीटिंग में करोड़ों रुपए यूं ही बर्बाद कर देते हैं लेकिन जनता की भलाई के लिए जरूरी काम पर आप लोग रुपए खर्च नहीं कर पा रहे हैं। न्यायालय द्वारा आदेश दिए जाने के बाद भी अभी तक काम नहीं हुआ है जिसे अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि नदी को पुराने वैभव में लौट के लिए धरातल पर कोई काम हुआ ही नहीं है सिर्फ लीपापोती चल रही है। यही वजह है कि मैं हर एक बिंदु की जानकारी अपने आदेश में लिखकर जाऊंगा ताकि जब मेरे बाद इस सीट पर कोई दूसरा न्यायाधीश आए तो वह आप लोगों के इस ढीले रवैया को एक बार में ही जानकर आप लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले की कार्रवाई कर सके। कोर्ट ने नगर निगम के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर को भी इस मामले में कड़ी फटकार लगाई और कहा कि आप लोगों की याददाश्त जा चुकी है जो न्यायालय के परामर्श के आधार पर काम कर रहे हो आप से बेहतर इंजीनियरिंग तो स्टेट टाइम में होती थी जिनके द्वारा तैयार किए गए सीवरेज लाइन आज भी बेहतर तरीके से काम कर रही है।

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कोर्ट में याचिकाकर्ता के जरिए स्वर्णरेखा नदी में नाले के मिले जाने पर सवाल उठाया गया जिस पर कोर्ट ने सख्त निर्देश देते हुए कहा कि न्यायालय नदी को उसके पुराने वैभव में लौटने का प्रयास कर रहा है जबकि आप लोग उसमें नल को मिला रहे हैं। ऐसी स्थिति में न्यायालय ने नगर निगम और याचिकाकर्ता को नल से बहकर आने वाले पानी का सैंपल टेस्ट करने के निर्देश दिए हैं जिसकी रिपोर्ट के आधार पर माननीय न्यायालय आगे निर्णय लेगा।

गौरतलब है कि स्वर्णरेखा नदी अब नाले में तब्दील हो चुकी है जिसको पुराने रूप में वापस लाने के लिए याचिकाकर्ता एडवोकेट विश्वजीत रतोनिया द्वारा एक जनहित याचिका मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर ब्रांच में दायर की गई है। जिस पर सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सख्त नाराजगी जाहिर की है और अब आगामी 12 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के दौरान देखना होगा कि नगर निगम और सीवरेज काम के सर्वे को लेकर कंसलटेंट कंपनी किस तरह का जवाब कोर्ट में पेश करती है।

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