कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। नाले में तब्दील हुई स्वर्णरेखा नदी मामले में गुरुवार को फिर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior High Court) में अहम सुनवाई हुई। इस दौरान हाईकोर्ट ने शासन की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई। नदी को पुनर्जीवित करने की रिपोर्ट पेश न करने पर कोर्ट ने शासन को फटकार लगाई।
हाईकोर्ट ने कहा कि वक्त दिए जाने के बावजूद रिपोर्ट पेश नहीं की गई, यह लापरवाही को दर्शाता है। वहीं शासन की ओर से अधिवक्ता ने तर्क दिया कि स्वर्णरेखा नदी नाले में तब्दील हो चुकी है, उसे मूल स्वरूप में वापस लाना बहुत असंभव कार्य है।हाई कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए शासन को फिर निर्देश दिए। हाईकोर्ट ने स्वर्णरेखा नदी को मूल रूप में वापस लाने के लिए 4 जुलाई तक का वक्त दिया। कोर्ट ने कहा कि स्वर्णरेखा नदी के पुनरुद्धार से जुड़े सभी जिम्मेदार मिलकर रोड मैप तैयार करें।मामले में अब 4 जुलाई को फिर सुनवाई होगी।
स्वर्णरेखा नदी से जुड़ी बातें
- स्वर्ण रेखा नदी ग्वालियर के हनुमान बांध से शुरू होती है और शर्मा फार्म हाउस होते हुए भिंड की ओर जाती है।
- शहर के सीवर इस नदी में बहते हैं, जिससे नदी नाला बन गई है।
- कोर्ट ने कमेटी को आदेश दिया है कि ऐसी रिपोर्ट बनाएं, जिससे हनुमान बांध से लेकर नदी के समापन तक साफ पानी बहे।
- कोर्ट ने कहा, केंद्रीय जल मंत्रालय, जल संसाधन व नगर निगम को मिलकर काम करना होगा। इसमें तीनों विभागों के अधिकारी मौजूद रहेंगे।
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