कमल वर्मा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ की डबल बेंच ने स्वर्ण रेखा नदी के मामले में सुनवाई की है। हाईकोर्ट की डबल बेंच के जस्टिस रोहित आर्य ने साफ शब्दों में कहा कि जिस तरह का रवैया नगर निगम के अफसरों का है और आदतों में सुधार नहीं किया गया। ऐसे हालत रहे तो कभी स्वर्ण रेखा नदी में साफ पानी नहीं बह सकेगा। जिसके बाद अब हाईकोर्ट ने स्वर्ण रेखा नदी पर खर्च हुए 423 करोड़ रुपए का निगम से हिसाब मांगा है।
इसके अलावा स्वर्ण रेखा नदी पर एलिवेटड रोड बनाई जा रही है, उस पर ट्रंक लाइन डालने में कितना खर्च आएगा, कहां-कहां लाइन जाएगी। इसका भी हिसाब हाईकोर्ट ने मांगा है। साथ ही HC ने कहा है कि अब किसी भी कीमत पर स्वर्ण रेखा नदी में नालों का पानी नहीं जाना चाहिए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी।
स्वर्ण रेखा नदी मामला: HC ने निगम अफसरों पर जताई नाराजगी, कहा- धैर्य की ले रहे परीक्षा, ऐसा रवैया रहा तो मामला CBI को सौंप देंगे
दरअसल, ग्वालियर की स्वर्ण रेखा नदी के लिए हाईकोर्ट में युवा विश्वजीत रतोनिया ने एक जनहित याचिका साल 2019 में दायर की थी। इससे पहले भी सुनवाई के दौरान कोर्ट नगर निगम कमिश्नर, स्मार्ट सिटी की सीईओ सहित कई अधिकारियों को फटकार लगा चुकी है। इससे पहले नगर निगम की ओर से शपथ पत्र दाखिल किया गया था। इसमें लापरवाही और गलतियों पर कोर्ट ने नाराज होते हुए अफसरों को आड़े हाथ लिया था।
हर सुनवाई पर अफसरों को फटकार मिल रही है। हाईकोर्ट की मंशा ये है कि जब साबरमती नदी भी पूरी तरह से सूख गई थी। लेकिन वहां के लोगों और जन प्रतिनिधियों ने प्रशासन के साथ संयुक्त रूप से काम किया। आज वहां की तस्वीर बदल गई है, लेकिन ग्वालियर में स्वर्ण रेखा को संवारने का काम क्यों नही हो सकता है।
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