कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हाईकोर्ट जज की कार छीनने के मामले में न्यायालय ने ABVP के दो छात्रों को जमानत देने से इनकार कर दिया है। इसके बाद आज से ABVP ने प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू कर दिया है। FIR के विरोध में कार्यकर्ता “WE WANT JUSTICE” की तख्तियां लेकर न्याय की गुहार लगा रहे है। हिमांशु श्रोत्रीय और सुकृत शर्मा को न्याय दिलाने के लिए ये प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं अब सेशन कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई है। जिसमे सोमवार को सुनवाई होगी। 

हाईकोर्ट जज की कार छीनने का मामला: जेल में बंद ABVP के दो कार्यकर्ता के समर्थन में आज से प्रदेश व्यापी आंदोलन, कोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार

कोर्ट ने कहा- मदद विनम्रता से मांगी जाती है बलपूर्वक नहीं

जेल में बंद ABVP ग्वालियर सचिव हिमांशु श्रोत्रिय और उप सचिव सुकृत शर्मा के मामले में सुनवाई की गई थी। इस दौरान यह दलील दी गई कि दोनों ने कुलपति की जान बचाने के लिए कार ली थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि किसी से मदद विनम्रता पूर्वक मांगी जाती है न की बलपूर्वक। यह कहते हुए न्यायालय ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी।

क्या है पूरा मामला

दरअसल शिवपुरी पीके यूनिवर्सिटी के 68 साल के पूर्व वाइस चांसलर रणजीत सिंह यादव दिल्ली से झांसी जा रहे थे। तभी अचानक ट्रेन में उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। उसी ट्रेन में ABVP संगठन से जुड़े हुए कुछ छात्र भी सफर कर रहे थे। उनकी तबीयत बिगड़ती देख छात्रों ने उन्हें ग्वालियर रेलवे स्टेशन पर उतार दिया और इलाज के लिए रेलवे स्टेशन से बाहर ले आए। स्टेशन के बाहर एक हाईकोर्ट के जज की गाड़ी खड़ी थी। गाड़ी के ड्राइवर से उन्होंने जबरदस्ती गाड़ी लेकर वीसी को जयारोग्य अस्पतला पहुंचाया। लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

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इसके बाद दोनों छात्र हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा के खिलाफ मप्र डकैती और व्यापार प्रभाव क्षेत्र अधिनियम (एमपीडीवीपीके अधिनियम), डकैती विरोधी कानून के तहत आरोप लगाया गया था। ABVP पदाधिकारियों ने कहा कि उन्होंने एक व्यक्ति की जान बचाने के लिए गाड़ी ली थी। कार्यकर्ताओं ने स्टेशन में रेलवे अधिकारियों और पुलिस कर्मियों को इसकी सूचना दी थी मगर किसी ने कोई मदद नहीं की। जिसके बाद उन्हें मजबूरन स्टेशन के बाहर खड़ी गाड़ी ले जानी पड़ी। 

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