भूपेंद्र भदौरिया, ग्वालियर। मध्यप्रदेश के पीएचई विभाग में मुरैना जिले से एक बड़ा कारनामा सामने आया है। जिसमें लाखों रुपये की गड़बड़ी करने वाले आरोपी को मुरैना जिले में कार्यपालन यंत्री का प्रभार दे दिया गया। 19 लाख 76 हजार 842 की वित्तीय अनियमितता करने वाले और जांच कमेटी द्वारा दोषी पाए गए सहायक यंत्री संजीव गुप्ता का निलंबन और राशि की वसूली तो की नहीं, उल्टा उन्हें इनाम स्वरूप नियम विरुद्ध शासन को ठेंगा दिखाते हुए मुरैना में कार्यपालन यंत्री का प्रभार दे दिया गया।

संजीव गुप्ता ने बगैर टेंडर कोटेशन प्रक्रिया अपनाए एवीआई कंप्यूटर कम्युटेक इंदौर को 7 मार्च 2019 से 2 सितंबर 2021 तक कोरोना काल में 19 लाख रुपये से अधिक के फर्जी कार्य आदेश जारी कर कंपनी को भुगतान कर दिया। फर्जी तरीके से शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाए जाने के मामले में जांच कमेटी गठित की गई। इस जांच कमेटी में 19 लाख 76 हजार रुपए 842 की अनियमितता पाई गई। जांच कमेटी ने संजीव गुप्ता को दोषी माना, जिस पर तत्कालीन मुख्य अभियंता एसके अधंवान ने संपूर्ण जानकारी मुख्य अभियंता को अनियमितता संबंधी रिपोर्ट सौंपी गई, जिसमें उन्हें निलंबित कर उन पर एफआईआर करने की बात कही गई थी। इसके बाद भी संजीव गुप्ता ने भोपाल स्तर पर सांठगांठ कर जांच रिपोर्ट को फाइलों में ही दबा दिया।

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इसके बाद मुख्य अभियंता आर एल मौर्य ने 17 मई 2023 को सभी गबन के आरोपों को दरकिनार करते हुए संजीव गुप्ता को मुरैना में कार्यपालन यंत्री का प्रभार देने के आदेश जारी कर दिए। वहीं इस पूरे मामले में ग्वालियर चंबल संभाग आयुक्त दीपक सिंह का कहना है कि अगर किसी अधिकारी के विरुद्ध अनियमितता पाई गई है तो उसको महत्वपूर्ण जिले का प्रभार देना गलत है। यह मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। पूर्व में इस मामले को लेकर क्या जांच रिपोर्ट सौंपी गई है, उन सभी दस्तावेजों को मंगा कर उनकी जांच दोबारा से की जाएगी। अगर दोषी पाया गया तो शासन को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की जाएगी।

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