कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर जीवाजी यूनिवर्सिटी (Jiwaji University, Gwalior) की महिला क्रिकेट टीम ने कुलपति बंगले के बाहर धरना दिया और भूख हड़ताल पर बैठ गई। विश्वविद्यालय की महिला क्रिकेट टीम को 10 मार्च से ओडिशा (Odisha) के भुवनेश्वर (Bhubaneswar) में होने वाले नेशनल इंटर यूनिवर्सिटी वेस्ट जोन क्रिकेट टूर्नामेंट में शामिल होना था, लेकिन टूर्नामेंट में एंट्री ना होने के कारण टीम उसमें शामिल नहीं हो सकती है। महिला क्रिकेट टीम खिलाड़ियों का आरोप है कि इसके पीछे विश्वविद्यालय प्रबंधन की लापरवाही रही है
आपको बता दें कि हर साल नेशनल इंटर यूनिवर्सिटी (National Inter University) वेस्ट जोन क्रिकेट टूर्नामेंट (Women Cricket Competition) का आयोजन होता है। जिसमें देश भर से शासकीय और प्राइवेट विश्वविद्यालयों की टीम शामिल होती है। ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी की महिला क्रिकेट टीम को भी इस टूर्नामेंट में शामिल होना था, लेकिन ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित होने वाले इस टूर्नामेंट में विश्वविद्यालय की एंट्री नहीं हो सकी, यही वजह रही कि विश्वविद्यालय की महिला क्रिकेट टीम अपने कप्तान पिंकी मावई के नेतृत्व में भूख हड़ताल पर बैठ गई।
जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अविनाश तिवारी के बंगले के बाहर टीम ने धरना शुरू कर दिया। खिलाड़ियों का आरोप है कि विश्व विद्यालय प्रबंधन की लापरवाही के चलते यह सब हुआ है। वहीं जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि AIU और भुवनेश्वर स्थित टूर्नामेंट आयोजक यूनिवर्सिटी की ओर से टूर्नामेंट को लेकर कोई भी जानकारी नहीं दी गई थी। जिसके चलते टूर्नामेंट में शामिल होने की अंतिम तारीख 26 फरवरी निकल गई।
जब इंदौर की कुछ खिलाड़ियों ने जीवाजी विश्वविद्यालय की खिलाड़ियों को इसके बारे में जानकारी दी तब जाकर पता चला कि जीवाजी विश्वविद्यालय को टूर्नामेंट में आमंत्रित ही नहीं किया गया है। हालांकि महिला क्रिकेट टीम के हित में AIU और आयोजक यूनिवर्सिटी से सोमवार को बात की जाएगी। कोशिश पूरी रहेगी की विश्वविद्यालय की महिला क्रिकेट टीम को टूर्नामेंट में एंट्री मिल सके। भूख हड़ताल खत्म कराने उन्हें लिखित आश्वासन दिया गया है।
गौरतलब है कि जीवाजी विश्वविद्यालय की महिला क्रिकेट टीम खिलाड़ियों का कहना है कि प्रदेश सरकार और सीएम शिवराज मामा बेटियों और महिलाओं के लिए लगातार नवाचार और कार्य कर रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी जब इस तरह की लापरवाही करते हैं, तो उससे बेटियों के भविष्य पर संकट खड़ा होता है। यदि टीम टूर्नामेंट में शामिल होती और जीतकर आती तो इससे मध्य प्रदेश के साथ विश्वविद्यालय का नाम ऊंचा होता साथ ही उनको भविष्य के लिए कई अवसर भी मिल सकते थे।
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