कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की ग्वालियर खंडपीठ ने (Gwalior Bench) सख्त टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा कि कलेक्टर-कमिश्नर साहब (Collector-Commissioner) को समझा दीजिए, आदेश का पालन नहीं करने का असर क्या होता है। कचरा प्रबंधन पब्लिक इंटरेस्ट का मैटर है, इसलिए इसमें हीला हवाली ना करें।

दरअसल, ग्वालियर हाईकोर्ट में कचरा प्रबंधन (waste management) की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय ने आदेश का पालन ना करने पर नाराजगी जताई है। कचरा प्रबंधन का रोड मेप तैयार करने के लिए हाईकोर्ट ने कलेक्टर को कमेटी बनाने के निर्देश दिए थे। जिस पर कलेक्टर-कमिश्नर ने अमल नहीं किया।

MP की ग्रामीण जनता को महंगाई का एक और झटकाः गांव में मकान बनाना हुआ महंगा, अब देना होगा शुल्क

हाईकोर्ट ने सरकारी वकील से कहा “कलेक्टर कमिश्नर साहब को समझा दीजिए जब हाईकोर्ट आदेश देता है तो उसका पालन ना करने का क्या असर होता है। कचरा प्रबंधन पब्लिक इंटरेस्ट का मैटर है, इसलिए इसमें हीला हवाली ना करें।”

न्यायालय ने कहा- उनसे बोल दीजिए अमल नहीं कर पाएंगे तो कोर्ट का ऑर्डर समझाने का और भी रास्ता है, जरा नगर निगम कमिश्नर को समझा दीजिए। इस तरह पैर पर पैर रखकर बैठना उचित नहीं। हमने इसे बहुत सीरियस मोड कर लिया है या ऑर्डर में भी लिखा है हमने। यह इन्फॉर्म करने वाली बात नहीं है, आप बता दो कि साहब हमारी बात नहीं सुन रहे हैं तो हमको रास्ता पता है कि कैसे बुलाना है उनको और कैसे काम कराना है उनसे।

बागेश्वर धाम के पं. धीरेंद्र शास्त्री की श्रीराम कथा: आज से 5 मार्च तक घर बैठे सिर्फ News24 MP-CG पर देखिए सीधा LIVE प्रसारण

बता दें कि शहर से रोज साढे़ चार सौ मैट्रिक टन कचरा निकलता है। कचरा लैंडफिल साइट में सात लाख मैट्रिक टन कचरा जमा हो चुका है। कचरा प्रबंधन को लेकर सरिता सिंह तोमर ने जनहित याचिका लगाई थी। 2019 तक केदारपुर में लैंडफिल साइट तैयार करनी थी।

Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus