हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर खंडवा रोड पर एक बार फिर बस एक्सीडेंट का मामला सामने आया है। जिसमें जयसवाल बस की बस इंदौर से खंडवा जाते हुए बाय ग्राम में पुलिया से नीचे गिर गई। जिसमें 39 घायल हुए है, जिन्हें उपचार के लिए हॉस्पिटल पहुंचाया गया है। जिसमें से 2 महिलाओं की मौत हो गई। वहीं 7 लोग अति गंभीर घायल हैं। जिसमें से 4 बच्चों की हालत नाजुक बनी हुई है। 1 बच्चे का हाथ काट कर धड़ से अलग हो गया। वहीं एक बच्चे के सिर में अधिक चोट होने से उसे वेंटिलेटर पर रखा गया है।
दरअसल आज से ठीक एक महीने पहले 6 फरवरी 2023 को इंदौर से खंडवा जाते वक्त यात्रियों से भारी बस सिमरोल थाना क्षेत्र के पास 50 फीट गहरी खाई में गिरी थी। जिसमें 40 से अधिक लोग घायल हुए थे। वही 5 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बावजूद आरटीओ विभाग की आंखें नहीं खुली और आज फिर एक बस हादसा हुआ। जिसमें 2 लोगों की मौत हो गई और 7 से ज्यादा लोग अति गंभीर घायल हैं।
इन बस हादसों का जिम्मेदार कौन
इसके पहले इंदौर खंडवा रोड पर हुए बस एक्सीडेंट के बाद तत्कालीन इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह ने बस एसोसिएशन की बैठक लेकर बस की स्पीड पर नियंत्रण करने के कड़े निर्देश जारी किए थे। बावजूद इसके बस संचालक तेज रफ्तार बसों की स्पीड पर कंट्रोल नहीं रखते, जिससे आम लोगों को हादसे का शिकार होना पड़ता है। हादसा होने के बाद अधिकारी जागते तो है, लेकिन कुछ समय तक के लिए।
बस एक्सीडेंट के बाद ट्रांसपोर्ट कमिश्नर ने इंदौर आकर बस एसोसिएशन की बैठक ली थी। जिसमें कड़े निर्देश जारी किए थे। बैठक में ड्राइवर को ट्रेनिंग देने की बात भी की गई थी, लेकिन ड्राइवर को ना तो ट्रेनिंग दी गई और ना ही बसों की स्पीड पर लगाम लग पाई। अब हादसा होने के बाद से आरटीओ विभाग जागा है। और ताबड़तोड़ इंदौर खंडवा रोड पर बैरिकेडिंग लगाकर बसों की स्पीड पर नजर रखने का काम शुरू किया। लेकिन यह सब दिखावा बस एक्सीडेंट होने के बाद ही क्यों किया जाता है।
बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जब भी बस एक्सीडेंट होते हैं। तो इसका जिम्मेदार कौन है। मुख्य तौर पर आरटीओ विभाग की जिम्मेदारी तय होती है, कि समय-समय पर जिन परमिटों को वह जारी करते हैं। उन पर विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। इंदौर आरटीओ ने कई बसों के परमिट एक ही टाइम पर जारी किए हैं। जिसके कारण बसों की स्पीड पर लगाम नहीं लग पाती और बसों को तेज गति से दौड़ ने के लिए ड्राइवर पर भी बस मालिक का दबाव होता है। अगर आरटीओ विभाग परमिट लंबे लंबे समय के अंतराल में जारी करें तो बसों की स्पीड पर भी नियंत्रण लगेगा और बस मालिकों का ड्राइवर पर भी प्रेशर नहीं रहेगा ज्यादा सवारी बिठाने के अभाव में कंडक्टर ड्राइवर बसों को तेज रफ्तार से दौड़ते हैं और आखरी में भुगतना आम लोगों को पड़ता है।
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