हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर के द्वारकापुरी में रहने वाले एक दिव्यांग ने मंगलवार रात फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। द्वारकापुरी थाने के सब इंस्पेक्टर के बर्ताव से तंग आकर उसने यह कदम उठाया। मामला सामने आने के बाद सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड भी कर दिया गया है। लेकिन बात यही पर खत्म नहीं हो जाती, क्योंकि दिव्यांग के सुसाइड ने शासन-प्रशासन के कार्यों पर सवालियां निशान खड़ा कर दिया है।
ऐसा हम इसलिए कह रहे है, क्योंकि मृतक शख्स अपनी परेशानी लेकर कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंचा था, लेकिन लगता है शायद प्रशासन और पुलिस के बीच समन्वय की कमी है, तभी तो जिला प्रशासन के अधिकारियों के कहने के बाद भी पुलिसकर्मियों ने उस दिव्यांग युवक की शिकायत को सुनना भी जरुरी नहीं समझा। थाने में मौजूद सब इंस्पेक्टर ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया जिससे आहत होकर उसने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी।
दरअसल इंदौर के जिला प्रशासन और पुलिस विभाग और नगर निगम में जनसुनवाई हर मंगलवार को आयोजित की जाती है। सबसे ज्यादा आवेदक इंदौर कलेक्टर इलैयाराजा टीम के पास जनसुनवाई में अपनी शिकायतें लेकर पहुंचते हैं। शहर में कलेक्टर को लेकर लोगों के मन में हमेशा सहयोग की उम्मीद रहती है, लेकिन जब लोगों को सहयोग नहीं मिलता है तो वह निराश होकर या तो गलत कदम उठा लेते हैं या फिर जनसुनवाई में जाना ही बंद कर देते हैं। इंदौर कलेक्टर ऑफिस में सुबह 11:00 बजे से लेकर शाम को 7:00 बजे तक जनसुनवाई की जाती है और लोगों की हर मदद का दावा भी किया जाता है। कलेक्टर साहब किसी को स्कूटी या फिर किसी को स्कूल तक बस पहुंचाने के निर्देश तो जारी करते हैं, लेकिन जो लोग धोखाधड़ी या फिर अन्य किसी दुर्घटना का शिकार होकर अगर कलेक्टर के पास जाते हैं तो कलेक्टर उसे विधिवत पुलिस से संपर्क कर आवेदन को माफ कर भेज देते हैं।
ऐसा ही एक मामला इंदौर के द्वारकापुरी थाना क्षेत्र का सामने आया जहां पर रहने वाले मोहन पाल ने आत्महत्या कर ली। दरअसल मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर ऑफिस से जाने के बाद वह सीधा डीसीपी के कार्यालय गया और डीसीपी ऑफिस से उसे थाने जाने के लिए कहा गया इसके बाद जब वह थाने गया तो वहां पर एक मौजूद सब इंस्पेक्टर आमोद वीके ने गाली गलौज कर अपशब्द कहे और उसे थाने से भगा दिया। घटना का पूरा जिक्र मृतक ने अपने सुसाइड नोट में किया है। दिव्यांग के आत्महत्या का मामला सामने आने के बाद इंदौर पुलिस कमिश्नर मकरंद देउसकर भी जागे और सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड करने के आदेश जारी किया। बताया जा रहा है कि दिव्यांग मृतक के साथ शादी कराने के नाम पर हजारों रुपए की धोखाधड़ी हुई थी और इसी बात से वह आहत था और उसी कार्रवाई को लेकर वह तमाम विभागों के कार्यालयों में जाकर अपनी अर्जी दी थी,लेकिन कहीं पर भी उसे न्याय नहीं मिल पा रहा था.
लेकिन अधिकारियों की इस लापरवाही से एक दिव्यांग ने अपनी जान से हाथ धो लिया उन अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक ओर कलेक्टर जनसुनवाई में बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन यह तो साफ है कि इंदौर में जिला प्रशासन और पुलिस के बीच समन्वय नहीं है, जिसके कारण एक दिव्यांग ने आत्महत्या कर ली। दो सौ आवेदन प्रत्येक मंगलवार को कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंच रहे हैं, जबकि कमिश्नर जनसुनवाई में करीब 25 आवेदन पहुंच रहे हैं। इस तरह कलेक्टर के पास बड़ी संख्या में पीड़ित पहुंच रहे है। बावजूद इसके कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
बहरहाल अब जिला प्रशासन के अधिकारी अपने कार्य क्षेत्र के बाहर का आवेदन बताकर मामले को ठंडे बस्ते में डालते हुए नजर आ रहे हैं। वही इंदौर पुलिस पर भी कई बड़े सवाल खड़े हो रहे हैं कि पुलिस के इस तरह के दुर्व्यवहार की कई तस्वीरें पहले भी सामने आ चुकी है, लेकिन पुलिस के आला अधिकारी अपने दफ्तर की कुर्सियों को तोड़ने में ही मशगूल है। थाना स्तर पर शिकायतकर्ता कितने परेशान या पीड़ित हैं, इसका जायजा भी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी लेते नजर नहीं आ रहे हैं।
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