हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश के आर्थिक राजधानी इंदौर में अलग तरह से दहेज प्रताड़ना का मामला सामने आया है। जहां कपड़ा व्यापारी पति ने दहेज में 22 लाख की मांग की, इंकार करने पर पत्नी की सिम को फर्जी तरीके से पोर्ट करवा कर उसके अकाउंट से लाखों रुपए पार कर दिए। पीड़ित माहिला ने पति और ससुरालियों के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया है।
दरअसल, महू में रहने वाले कपड़ा व्यापारी विपिन पाल की शादी इंदौर की रहने वाली एक युवती से हुई थी। शादी के कुछ महीनों बाद ही ससुराल पक्ष ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया। कपड़ा व्यापारी पर लाखों रुपए का कर्ज है, जिसे चुकाने के लिए वह अपने पत्नी से पैसे लाने की डिमांड करता रहा। पत्नी के भाई ने कई बार दहेज लोभी पति को अकाउंट पर पैसा ट्रांसफर करता रहा, लेकिन जब विपिन पाल ने पीड़िता के साथ प्रेगनेंसी के दौरान मारपीट की। जिसके बाद मायके वालों उसे अपने साथ लेकर इंदौर वापस आ गए। इसके बाद मायके वालों ने पुलिस को पूरे मामले की शिकायत की। पुलिस ने दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
मामूली धाराओं में एफआईआर दर्ज
शिकायत करने महिला थाने पहुंची तो कई घंटों तक इंतजार कराया गया। इसके बाद इस्पेक्टर साहिबा ने पहले तो आवेदन लेकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की। बाद में जब पीड़िता एफआईआर दर्ज करने की जिद पर अड़ी गई, तब दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज किया। पीड़िता ने आवेदन में परिवार के और भी सदस्यों के नाम दर्ज किए थे लेकिन पुलिस ने उनमे नामों को हटाकर सिर्फ पति का नाम एफआईआर में दर्ज किया है। जिसके कारण पीड़िता परेशान है। पुलिस का कहना है दहेज के लिए सिर्फ पति ही प्रताड़ित करता है। बाकी दूसरे परिवार के लोगों का इसमें कोई लेना देना नहीं होता, लेकिन ननद और देवरानी ने जिस तरीके से पीड़िता को परेशान कर रखा था उसका भी पीड़िता ने शिकायत में जिक्र किया है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज ना करते हुए अपने ही मन से एफआईआर दर्ज कर मामले को रफा-दफा करने का पूरा प्रयास किया है।
अकाउंट से निकाले लाखों रुपए
पीड़िता ने अपने आवेदन में जिक्र किया था कि मोबाइल सिम को पति ने फर्जी तरीके से पोर्ट करवा ली। विवाद के बाद जब परिजन पीड़िता को लेने ससुराल पहुंचे तो पति ने उसका मोबाइल छीन लिया और परिवार के साथ उसे रवाना कर दिया। मोबाइल से अकाउंट पोर्ट कराने की रिक्वेस्ट बैंक को सेंड कर दिया। पीड़िता जब इंदौर आकर दूसरी सिम शुरू करवाई तब तक पोर्ट की रिक्वेस्ट पूरी हो चुकी थी। रात में ही नई सिम पति के नाम एक्टिवेट हो गई। उस दिन से ऑनलाइन एप्लीकेशन एक्टिवेट कर अकाउंट में पड़े एलआईसी के पैसों को पति ने निकाल लिया। पीड़िता जब तक बैंक पहुंचकर शिकायत करती तब तक पति पूरे पैसे निकाल चुका था। महिला ने मामले की पुलिस को शिकायत की तो पुलिस ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि महिला थाने में सिर्फ दहेज प्रताड़ना के ही मामले दर्ज किए जाते हैं। मामले में पुलिस मामला दर्ज करने से बचती नजर आ रही है।
अकाउंट ट्रांसफर कराने के लिए ले गया था विदिशा
पति को पता था कि पत्नी के अकाउंट में लाखों रुपए रखे हुए हैं। वह जब तक उस अकाउंट को महू के बैंक में ट्रांसफर नहीं करा लेता जब तक पैसा निकाल नहीं सकता था। जब महिला 7 माह की प्रेगेंट थी तब पति उसे विदिशा ले गया था और विदिशा से अकाउंट महू बैंक में ट्रांसफर करने की रिक्वेस्ट दे दी। इसके बाद जब महिला इंदौर पहुंची तो उसका मिसकैरेज हो गया जिसे कारण पीड़िता लंबे समय तक बीमार रही। पीड़िता के मुताबिक पति ने उसे अविवाहित बताकर एक रोजगार लोन भी लिया था। जिसमें उसने सिलाई का काम दिखाया था, लेकिन वह ना सिलाई का काम करता है और ना ही कपड़ा व्यापारी था। धोखाधड़ी के पहले उसने बैंक से लाखों रुपए का लोन पीड़िता के नाम से ले लिया। जिसकी जानकारी जब महिला को लगी जब तक काफी देर हो चुकी थी।
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