हेमंत शर्मा, इंदौर। इंदौर पुलिस गुंडों और बदमाशों के आगे नतमस्तक होती दिखाई दी।पुलिस से अभद्रता करने वाले बदमाशों को राजनीतिक दबाव के चलते 2 बजे रात के एसीपी कोर्ट लगाकर जमानत देनी पड़ी। थाना प्रभारी के साथ अभद्रता करने के बाद FIR दर्ज होने के बाद थाना प्रभारी ने आरोपियों को थाने में बिठाया था। जिसके बाद राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस को उन्हें छोड़ना पड़ा। आरोपी पूर्व में करणी सेना का पदाधिकारी रह चूका है। उस पर 6 मामले दर्ज है। वहीं उसके साथी पर 8 से ज्यादा मामले दर्ज है।
पूरा मामला इंदौर के विजयनगर क्षेत्र के कुछ ही कदम दूरी पर बनी बिल्डिंग में अवैध कब्जे का है। जहां पर अपने आप को करणी सेना का पदाधिकारी बताने वाले ऋषिराज सिंह और उसके भाई राम सिंह ने कब्जा कर रखा था जिसकी शिकायत करने व्यापारी थाने पर पहुंचे थे। इसी बीच ऋषिराज ने व्यापारियों के साथ पुलिस के सामने ही मारपीट करना शुरू कर दी थी। पुलिस ने ऋषिराज के खिलाफ मारपीट की धाराओं में एफ आई आर दर्ज कर ली थी। बाद में ऋषिराज ने थाना प्रभारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए जमकर बदसलूकी की। जिसके बाद पुलिस ने आरोपियों को मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया।
इसी बीच रात में पुलिस के आला अधिकारियों के पास राजनीतिक दबाव आया इंदौर के ही एक मंत्री ने थाना प्रभारी को फोन लगा कर दोनों ही आरोपियों पर कार्रवाई ना का दबाव बनाया। लेकिन पुलिस के साथ अभद्रता करने के बाद थाना प्रभारी ने दोनों ही आरोपियों को सलाखों के पीछे बिठा दिया। बड़ी संख्या में दोनों आरोपियों के समर्थक थाने के बाहर देर रात तक मौजूद रहे। रात को वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के बाद एसीपी ने रात 2:00 बजे कोर्ट लगाकर दोनों ही आरोपियों को थाने से जमानत दी।
अब पुलिस पर कई सवालिया निशान खड़े होते नजर आ रहे हैं कि पुलिस से अभद्रता करने वाले दोनों आरोपियों का पुलिस पर इस कदर दबाव बना पुलिस को रात में ही कोर्ट लगाकर दोनों को जमानत देनी पड़ी। दूसरी तरफ पुलिस का मनोबल भी टूटता हुआ दिखाई दिया। जिन पुलिसकर्मियों के साथ दोनों ही आरोपियों ने बदसलूकी की थी धमकियां दी थी उनकी तरफ से कार्रवाई ना होते हुए वरिष्ठ अधिकारियों के दबाव में दोनों ही आरोपियों को जमानत पर रिहा करना पड़ा। पुलिस ने आरोपियों की कुंडली निकाली तो ऋषिराज पर 6 मामले दर्ज पाए गए और रामसिंह पर 8 से ज्यादा हत्या हत्या की कोशिश अवैध वसूली के कई मामले इंदौर के अलग-अलग थानों में दर्ज मिले। लेकिन पुलिस को दोनों ही आरोपियों को छोड़ना पड़ा। अब यहां बड़ा सवाल उठता है कि क्या अपराधियों को राजनेताओं का भर भरकर सपोर्ट मिल रहा है ? तभी तो एक फोन पर पुलिस को दोनों ही आरोपियों को छोड़ना पड़ गया। अगर कल कोई बड़ी घटना होती है तो इसका जवाबदार कौन होगा ?
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