हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश में नशे पर नकेल कसने के लिए पुलिस लगातार कार्रवाई करती नजर आती है, लेकिन अपराधी अपने आप को बचाने कोर्ट में कई तरह के पत्र इस्तेमाल करते हैं और फिर छूट कर नशा सप्लाई करने में जुट जाते हैं। इनका सबसे ज्यादा फोकस युवाओं पर होता है, बड़े कॉलेज और स्कूलों के पास ड्रग्स सप्लाई करने वाले आरोपियों की इंदौर पुलिस ने लिस्ट बनाकर तैयार की थी और उस लिस्ट में 10 लोगों के नाम रेवेन्यू कमिश्नर को पिट एक्ट में कार्रवाई करने के लिए प्रतिवेदन में भेजे थे।

इस प्रतिवेदन को राजस्व आयुक्त ने हाईकोर्ट की एडवाइजरी बोर्ड के सामने रखा और फिर इस पूरी सुनवाई में इंदौर जोन वन के डीसीपी आदित्य मिश्रा, क्राइम ब्रांच डीसीपी निमिष अग्रवाल ने मजबूती से अपना पक्ष रखा और आरोपियों की डिजिटल कुंडली बनाकर एडवाइजरी बोर्ड के सामने रखी। जिसमें पक्ष रखने के बाद 10 में से सात आरोपियों को पिट्स एनडीपीएस एक्ट में एक-एक साल की सजा सुनाई गई।

Exclusive: अपराधियों की बन रही डिजिटल कुंडली, पैरोल पर छूटे आरोपियों पर पुलिस की तकनीकी नजर

केंद्र सरकार के बनाए गए इस एक्ट में अपराधी को पकड़ने के बाद उसके पास से भले ही मादक पदार्थ ना मिला हो, लेकिन उसकी नशे के कारोबार में अगर संदिग्ध भूमिकाएं मिलती है तो उसके लिए डीपी प्रतिवेदन बनाकर रिवेन्यू कमिश्नर को भेजता है और रेवेन्यू कमिश्नर इसे हाईकोर्ट एडवाइजरी बोर्ड के सामने रखता है। जिसके बाद पूरे मामले में सुनवाई होती है।

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10 नवंबर 2023 को हाईकोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इंदौर जिले सहित छतरपुर, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, जबलपुर जैसे शहरों के उन 32 अपराधियों की फाइलें कोर्ट के सामने रखी गई थी जो लगातार युवाओं को ड्रग्स की लत लगाने में अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं। इंदौर जोन के डीसीपी आदित्य मिश्रा ने आरोपियों के कॉल डिटेल निकालकर जज को कन्वेंस किया। जिसमें उन्होंने सुनवाई के दौरान यहां तक बताया कि यह अपराधी इंदौर से प्रतापगढ़ 32 बार आना जाना कर रहा था। इसी दौरान 3 किलो से ज्यादा मादक पदार्थ दिए, इंदौर लेकर आया और इसने सप्लाई की है। आरोपी के पास से कम मात्रा में मादक पदार्थ पकड़ा, लेकिन कॉल डिटेल के आधार पर सप्लाई करने वाले आरोपी की पूरी कुंडली कोर्ट के समक्ष रखी।

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जिसके बाद कोर्ट ने आरोपी आकाश उर्फ बंटी, जफर खान, नीरज गणपत ठाकुर सहित सात लोगों को एक-एक साल की सजा सुनाई है। इंदौर पुलिस अब लगातार ड्रग्स सप्लाई करने वाले आरोपियों की लिस्ट बनाने में जुटी है। इसके बाद अब लगातार पिट्स और डिफेक्ट एक्ट के मामले में एक-एक साल की सजा, इन आरोपियों को दिलवाने में पुलिस कड़ाई से छूटेगी। पुलिस का मानना है कि आरोपी 1 साल के लिए जब जेल जाता है तो उसकी जमानत सुप्रीम कोर्ट के अलावा कहीं नहीं होती और 1 साल में वह पूरा चैन ब्रेक कर देता है जिससे नशे पर नकेल कसी जा सकती है।

जानिए क्या है पिट एनडीपीएस एक्‍ट ?

पिट यानी पीआईटी एनडीपीएस एक्ट 1988 उन गंभीर नशे का कारोबार करने वाले अपराधियों पर लगाया जाता है जो लगातार उस अपराध में शामिल पाए जाते हैं। यह कार्रवाई शासन की ओर से की जाती है। यह उन अपराधियों के खिलाफ लगाया जाता है जिनका जेल में बंद किया जाना बेहद जरूरी हो जाता है।

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