हेमंत शर्मा, इंदौर। लिटिल वंडर्स कॉन्वेंट स्कूल के खिलाफ लड़ाई लड़ने उतरे छात्र को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अदालत ने साफ कहा कि अनुशासन तोड़ने वालों को स्कूल में जगह नहीं मिलेगी। आइए जानते है आखिर पूरा मामला क्या है…
छात्र पर आरोप था कि उसने सोशल मीडिया पर स्कूल और शिक्षकों का मज़ाक उड़ाते हुए अपमानजनक मीम्स पोस्ट किए। जिनमें धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले कंटेंट भी थे। जांच में जब सबूत सामने आए तो छात्र ने खुद अपनी गलती मान ली।
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इसके बाद स्कूल ने सख्त कदम उठाते हुए 10वीं कक्षा में एडमिशन देने से इंकार कर दिया। छात्र ने इस फैसले के खिलाफ राज्य बाल अधिकार आयोग का सहारा लिया, लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि आयोग के आदेश सलाह मात्र हैं, कानून नहीं। स्कूल की ओर से अधिवक्ता तरंग चेलावत ने तर्क दिया कि संस्था की गरिमा और शिक्षकों के सम्मान के लिए यह फैसला जरूरी था।
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अदालत ने भी इसे सही ठहराते हुए कहा कि विद्यालय को अनुशासन बनाए रखने के लिए ऐसे निर्णय लेने का पूरा अधिकार है। हाईकोर्ट ने टिप्पणी की- “स्कूल का फैसला न तो अवैध है, न मनमाना। अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जा सकती।”
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