कुमार इंदर,जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने दूसरे प्रदेश से सेम कास्ट (उसी जाति) में शादी करके आने वाली महिलाओं को आरक्षण देने के मामले में बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने इसी सिलसिले में बालाघाट निवासी एक महिला की याचिका पर अंतरिम फैसला सुनाते हुए कहा कि अन्य प्रदेश से सेम कास्ट में शादी करके आने वाली महिलाओं को आरक्षण का लाभ देने से इनकार नहीं किया जा सकता। इस मामले में सरकार से जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट ने महिला को ओबीसी आरक्षण का लाभ देते हुए उसे माध्यमिक शिक्षा भर्ती में ज्वाइन कराने का आदेश दिया है। अदालत ने अपने आदेश को आरक्षण के विचाराधीन याचिका के न्यायाधीन रखा है। यही नहीं न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है कि आखिर क्यों महिला को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा। मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी, 2023 को तय की गई है।

2014 में शादी कर आई थी महिला

याचिकाकर्ता महिला जो कि लोधी समाज से आती है। महिला साल 2014 में महाराष्ट्र के गोंदिया से शादी कर मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले के लांजी में आई थी। महिला ने 2018 में माध्यमिक शिक्षा भर्ती में आवेदन किया था, जिसके फलस्वरूप महिला परीक्षा में सफल भी हुई, लेकिन जब 2022 में कागजों को सत्यापित करने के लिए बुलाया गया तो महिला का कास्ट सर्टिफिकेट मध्यप्रदेश का ना होने का कहते हुए उसका आवेदन रिजेक्ट कर दिया गया जिसको महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी।

कोर्ट में दी गई ये दलील

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने न्यायालय में तर्क किया कि किसी व्यक्ति का जाति प्रमाण पत्र उसके पिता और माता की जाती के आधार पर जारी किया जाता है। याचिकाकर्ता के पिता और माता महाराष्ट्र के गोंदिया जिले में निवास करते हैं। इसलिए याचिकाकर्ता का जाति प्रमाण पत्र मुख्य रूप से गोंदिया महाराष्ट्र से ही जारी किया जा सकता है।

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मध्य प्रदेश सरकार के परिपत्र के अनुसार याचिकाकर्ता को जिस तरह का जाति प्रमाण पर जारी किया जाता है वह महाराष्ट्र गोंदिया से जारी किए जाती प्रमाण के आधार पर ही जारी किया जा सकता है। जिसमें शर्त लिखा होता है कि मध्यप्रदेश के सरकारी नौकरियों के लिए यह वैध नहीं है। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क रखा गया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपनी जाति नहीं बदल सकता है।

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पूरे भारत में निवास करने का अधिकार सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार जिसको कोई भी सरकार छीन नहीं सकती है। ओबीसी का प्रमाण पत्र अमान्य जारी करके सरकार ने याचिकाकर्ता के इस अधिकार को छीनने की कोशिश की है। तर्कों से सहमत होते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता को याचिका के निर्णय अधीन माध्यमिक शिक्षक भर्ती में शामिल करने के लिए सरकार को आदेशित किया। न्यायालय ने अगली सुनवाई 31 जनवरी 2023 को शुरू होने वाले सप्ताह में तय की है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह और रूप सिंह मरावी ने पैरवी की।

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