कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश के जबलपुर में राघव वेयरहाउस में भारी मात्रा में मिले खराब और सड़े हुए गेहूं के मामले में कलेक्टर ने कार्रवाई तेज कर दी है। इस मामले में कलेक्टर दीपक कुमार सक्सेना ने चार अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। तो वहीं बाकी दोषी कर्मचारियों के खिलाफ विभाग की जांच भी बिठा दी गई  है। मामले में मिलीभगत उजागर होने के बाद उन्होंने पूरे स्टैक की जांच की है। जिसमें कुछ और मात्रा में खराब और बिना टैग का गेहूं बरामद हुआ है। इसी के साथ कलेक्टर ने जबलपुर के 100 से ज्यादा उपार्जन केन्द्रों में जांच के आदेश दिए हैं जिसमें से ज्यादातर उपार्जन केंद्र की जांच हो गई है। वहीं कुछ उपार्जन केन्द्रों की जांच रिपोर्ट अभी आना बाकी है।

2 दिन पहले वेयरहाउस का हुआ था औचक निरीक्षण 

बता दें कि 2 दिन पहले ही बरगी क्षेत्र में संचालित राघव वेयरहाउस का विधायक नीरज सिंह और प्रशासन ने औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान भारी मात्रा में पुराना, घुना हुआ और Non FAQ गेहूं पाया गया था। ये गेहूं सहकारी समिति द्वारा समर्थन मूल्य पर किसानों के नाम पर ख़रीदा गया था। प्राथमिक जांच में कुल 13 स्टैक्स में से 2 स्टैक्स में पुराना, घुना हुआ और Non FAQ गेहूं मिला था। जिसके बाद कलेक्टर ने जिलेभर के उपार्जन केन्द्रों की जांच के आदेश दिए थे। 

वेयरहाउस में प्रशासन का छापा: जांच के दौरान मिला करोड़ों का सड़ा गेहूं, कई अधिकारी निलंबित

वहींं गेहूं खरीदी में घपले के के बाद कई अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। इस मामले में नोडल अधिकारी रघुनाथ कुदौलिया, सहकारिता निरीक्षक, JSO भावना तिवारी और कुन्जम सिंह राजपूत निलंबित कर शाखा प्रबंधक MPWLC-प्रियंका पठारिया को निलंबित करने का प्रस्ताव भोपाल भेजा गया है। कुल 212 किसानों से 25800 क्विंटल की ख़रीदी दर्ज की गई थी, खरीदी के लिए 4.56 करोड़ का भुगतान भी हो चुका है।

गलत लोगों को हुआ भुगतान लिया जाएगा वापस 

वेयरहाउस में खराब और NON FAQ गेहूं मिलने के मामले में कलेक्टर ने माना है कि ये खेल अधिकारों और कर्मचारियों की मिलीभगत से ही चल रहा था। कलेक्टर ने माना है की इसमें वेयर हाउस, सहकारी समिति, वेलुअर से लेकर सरकरी कर्मचारी सभी की मिलीभगत है।  कलेक्टर ने गेहूं खरीदी का बचा हुआ पेमेंट रुकवाने जे आदेश भी जारी कर दिए है। कलेक्टर ने कहा है कि, अपात्र किसानों को किया गया भुगतान वापस लाने की पुरी कोशिश होगी।  सोसायटियों से पैसों की वसूली की जाएगी। साथ ही ये पता लगाने की भी कोशिश की जा रही है कि खराब गेहूं किसका है और किसके माध्यम से आया था। आपको बता दे की गेहूं खरीदी में अब तक  4 करोड़ 56 लाख रूपए का भुगतान हो चुका है। जबकि करीब डेढ़ करोड़ का भुगतान होना अभी बाकी है।

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