कुमार इंदर, जबलपुर। वन कटाई को लेकर सूचना के अधिकार के तहत बड़ा खुलासा हुआ है। राज्य सरकार ने अब वनों की कटाई के लिए ग्राम पंचायत को अधिकृत कर दिया है। जनवरी 2023 में हुए 75वें संशोधन में राज्य सरकार ने वन अधिनियम में संशोधन करते हुए अब निजी और सरकारी दोनों जमीन में पेड़ों की कटाई का अधिकार ग्राम पंचायत को दे दिया है। ग्राम पंचायत ने यह अधिकार मिलने के बाद अंधाधुंध पेड़ों की कटाई करवाई है। जबलपुर की ही चार ग्राम पंचायतों ने 2000 से ज्यादा पेड़ों की कटाई करवाई गई है। वहीं जबलपुर की एक ग्राम पंचायत ने तो 1500 सागौन के पेड़ कटवाने की मंजूरी दी है।

उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने लगाई थी आरटीआई

नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष पीजी नाजपांडे और सदस्य रजत भार्गव ने बताया कि इस मामले में उन्होंने एक आरटीआई लगाई थी, जिसमें इस बात की जानकारी लगी कि राज्य सरकार ने 1 साल पहले ग्राम पंचायत को जिन वनों की कटाई का अधिकार दिया है। जिसके तहत ग्राम पंचायत ने पटवारी की रिपोर्ट के साथ कई जगह पेड़ों की कटाई की अनुमति दी है। अकेले जबलपुर के बरगी विधानसभा के अंतर्गत ग्राम पंचायत नानाखेड़ा , बंहनी, बीरनेर और घूंसौर सौर में पेड़ों की कटाई की है। रजत भार्गव ने बताया कि यह 4 ग्राम पंचायत की जानकारी है। इस तरह की अंधाधुंध कटाई पूरे प्रदेश में चल रही है, जिस पर तत्काल रोक लगना चाहिए। वरना आने वाले दिनों में इस संशोधन को कोर्ट में चुनौती देंगे।

क्या कहता है नया सशोधन

दरअसल, जनवरी 2023 को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए गए वन अधिनियम में संशोधन में प्रावधान किया गया है कि अब ग्राम पंचायत पटवारी के साथ मिलकर वनों की कटाई की अनुमति दे सकती है। इसके पहले तहसीलदार की रिपोर्ट पर वनों की कटाई की अनुमति मिलती थी।

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