निलेश भानपुरिया, झाबुआ/ सुनील जोशी, अलीराजपुर। मध्य प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में आज से आदिवासी संस्कृति के लोकपर्व भगोरिया (Bhagoriya) उत्सव की धूमधाम से शुरुआत हो चुकी है। यह उत्सव 7 मार्च तक चलेगा। इस पर्व को लेकर झाबुआ और अलीराजपुर जिले के अदिवासियों में भी भारी उत्साह देखने को मिल रहा है।
बता दें कि होली के सात दिन पहले मनाए जाने वाले इस उत्सव का आदिवासी समाज के लोगों को पूरे साल इंतजार रहता है। इन सात दिनों तक आदिवासी समाज के लोग खुलकर अपनी जिंदगी जीते हैं। यह भी कहा जाता है कि देश के किसी भी कोने में काम के लिए गए आदिवासी समाज के लोग भगोरिया पर्व पर अपने गांव लौट आते हैं। और हर दिन परिवार के साथ भगोरिया मेले में जाते हैं। भगोरिया मेलों में रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। इसलिए भगोरिया को उल्लास का पर्व भी कहा जाता है।
भगोरिया के बारे में मान्यता है कि झाबुआ जिला मुख्यालय के समीपस्थ ग्राम भगोर में प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व का शिवालय मौजूद है। भगोर भृगु श्रषि की तपश्चर्या स्थली रहा है। जानकारों के अुनसार, आदिवासी समाज के लोग भव अर्थात शिव और गौरी के उपासक रहे हैं। इसी से भगोरिया शब्द की उत्पत्ती हुई है। प्राचीन काल में इसी मंदिर में शिव और पार्वती की पूजा के बाद इस पारंपरिक पर्व भगोरिया की शुरूआत हुआ करती थी। तब से इस प्राचीन मंदिर में पूजा का सिलसिला अनवरत जारी है।
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक