इमरान खान, खंडवा। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में शादियों में बैंड-बाजे और शहनाई का दौर फिर से लौट रहा है, क्योंकि डीजे पर प्रतिबंध के बाद बैंड की मांग बढ़ गई है। शादियों में अब शहनाई, ग्रामेक्सोफोन और ट्रम्पेट जैसे वाद्य की धुन गूंजने लगी है। यह बदलाव पारंपरिक संगीत और शादी की रस्मों को नया जीवन देगा। इससे बैंड वालों के व्यवसाय में वृद्धि आई है। शादी विवाह सहित अन्य मांगलिक कार्यों के लिए बड़ी संख्या अपने ऑर्डर बुक करवा रहे हैं। डीजे पर प्रतिबंध होने के कारण जिला प्रशासन शादी-ब्याह सहित अन्य कार्यक्रमों में के लिए इनकी परमिशन नहीं दे रहा है।

मध्य प्रदेश में डीजे को लेकर बने नियमों का सरकार द्वारा सख्ती से पालन करवाया जा रहा है। इसके बाद पारंपरिक शहनाई–ढोलक और बैंड की डिमांड बढ़ गई है। बीते कुछ सालों में डीजे का प्रभाव बढ़ने के कारण ब्रास बैंड संचालकों को काफी नुकसान हुआ था। यहां तक की कई कारीगरों का तो रोजगार ही छीन गया था। लेकिन शादी–ब्याह सहित अन्य मांगलिक कार्यों में भारी-भरकम डीजे पर प्रतिबंध लगने के बाद बैंड–बाजे की डिमांड अब फिर से बढ़ गई है।

खंडवा में भी जिला प्रशासन द्वारा लाउडस्पीकर को लेकर बने नियमों का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है। जिसके बाद अब ब्रास बैंड संचालकों को अच्छा काम मिलने लगा है। बैंड के संचालक राहुल मुंडेले ने बताया कि शादी–ब्याह और पार्टियों में डीजे का प्रभाव बढ़ने के कारण हमारे कारोबार को काफी नुकसान हुआ था। लेकिन अब सरकार के नियम पालन के कारण मार्केट में शहनाई–ढोलक और बैंड की डिमांड फिर से बढ़ गई है।

किसी भी धर्म का कोई भी मांगलिक कार्यक्रम हो उसमें परंपरागत रूप से बैंड–बाजा ही बजाया जाता था। लेकिन समय बदलने के साथ ही लोगों की जरूरतें भी बदल गई और पसंद भी, लेकिन अब हम लोगों को ठीक-ठाक काम मिल जाता है। हमारे कारीगरों को रोजी-रोटी भी मिल रही है। ढोलक–शहनाई और बैंड पुराने समय से चले आ रहे हैं और इनका मांगलिक कार्यों में बहुत महत्व होता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में डीजे आने के बाद उनकी डिमांड में कमी आ गई थी। लेकिन अब वापस से मार्केट में उनकी डिमांड बढ़ गई है।

वहीं नियम पालन को लेकर अपर कलेक्टर कांशीराम बडोले ने बताया कि वैवाहिक कार्यक्रमों और अन्य आयोजनों में नियम अनुसार मापदंडों को ध्यान में रखते हुए साउंड इत्यादि की परमिशन दी जा रही। वहीं बैंड को लेकर लोग अपने अनुसार आयोजन में नियम अनुसार साउंड लगाते हैं। डीजे को लेकर बने नियमों का सख्ती से पालन करवाया जा रहा है। आयोजनकर्ता भी इसमें सहयोग कर रहे हैं। यह एक अच्छी बात है। शादियों में बैंड बाजे ज्यादातर लोग उपयोग कर रहे हैं।

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