इमरान खान, खंडवा। कभी आम आदमी के किचन का स्वाद बिगाड़ देने वाली प्याज इन दिनों किसानों के खेत का बजट बिगाड़ रही है। प्याज की खेती करने वाले किसान इन दिनों काफी परेशान है क्योंकि प्याज का उचित दाम उन्हें नहीं मिल रहा है। मंडी में किसान का प्याज 75 पैसे से लेकर ₹1 किलो तक बिक रहा है। ट्रैक्टर ट्राली का भाड़ा भी किसानों को जेब से देना पड़ रहा है। कहीं किसानों ने तो प्याज को फ्री में बांट दिया तो कहीं किसानों ने जानवरों को खिला दिया। किसानों ने सरकार से मांग की है की प्याज का भी समर्थन मूल्य तय होना चाहिए।
खंडवा में इन दिनों प्याज की खेती करने वाले किसान काफी दुखी और परेशान है। किसानों की लागत तो दूर की बात है, मंडी तक ले जाने का किराया तक जेब से देना पड़ रहा है। इसलिए किसान प्याज को नालों में फेक रहे हैं या जानवरों को खिला रहे हैं। कहीं किसान तो मंडी में प्याज लेकर आ रहे हैं, लेकिन भाव सुनकर शहर की सड़कों पर फ्री में बैठ कर चले जा रहे हैं। यही हाल व्यापारियों के भी है। मध्य प्रदेश के खंडवा मंडी में प्याज का व्यापार करने वाले व्यापारी यहां की प्याज को देश के अन्य प्रदेशों में भी बेचते हैं। लेकिन वहां भी भाव नहीं मिलने के कारण व्यापारियों के माथे पर चिंता की लकीरें छाई हैं। व्यापारियों का कहना है कि बेमौसम बारिश से प्याज की फसलें खराब हो गई है उच्च क्वालिटी का प्याज अब मंडी में नहीं आ रहा है इसलिए मंडी में एक रुपए से भी नीचे का भाव प्याज का पहुंच गया है।
पहले बेमौसम बारिश और अब प्याज किसानों को रुला रही है। उनका कहना है कि प्याज पर ₹8 प्रति किलो की लागत आ रही है। प्याज की फसल में प्रति एकड़ 60 से 80 हजार रुपए तक का खर्च आता है। वर्तमान में जो दाम मिल रहे हैं, उससे तो आधी लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसान ने सरकार से राहत राशि दिए जाने की मांग की है। प्याज की खेती कर रहे किसान कमलेश पटेल ने बताया कि उससे एक एकड़ में करीब 60 हजार रुपए की लागत लगी है। मंडी में वह भी एक रुपए प्रति किलो बिक रही है। लागत तो दूर की बात है मंडी तक ले जाने का भाड़ा भी ट्रैक्टर ट्राली का नहीं निकल पा रहा है इसलिए प्याज को खेत में ही रहने दे रहे हैं। वही कुछ किसानों ने तो प्याज को सुनसान जगह या नाले के पास फेंक रहे हैं।
प्याज के उचित भाव नहीं मिलने को लेकर भारतीय किसान संघ के नेता भी सरकार से मांग कर रहे हैं कि सरकार प्याज का समर्थन मूल्य तय करें। कभी यही प्याज ₹40 किलो, तो कभी यही प्याज के 1 रुपए प्रति किलो का भाव नहीं मिलता हैं। आज किसान प्याज लेकर मंडी तक नहीं जा रहा है, किसान को ट्रैक्टर ट्राली का किराया भी जेब से देना पड़ रहा है। आज किसान प्याज को या तो खेत में सड़ा दे रहा है या जानवरों को खिला दे रहा है या नाले में बहा दे रहा है। इस लिए सरकार को किसानों के लिए सोचना चाहिए।