इमरान खान, खंडवा। शाही ठाट-बाट और उम्दा व्यवस्था के बीच रहना किसे पसंद नहीं है, इसके लिए शौकीन लोग हजारों रुपये तक खर्च करते है। शाही सुविधाओं से लैस सराय गरीबों की पहुंच में कहां होती है? लेकिन मध्यप्रदेश के खंडवा शहर (Khandwa) में एक ऐसा पैलेस यानी महल (Palace) है, जिसकी कीमत करोड़ों में है, पैलेस की खासियत यह है कि केवल 5 रुपये देकर कोई व्यक्ति पूरे एक दिन तक रुक सकते हैं। खंडवा में स्थित सेठानी पार्वतीबाई धर्मशाला, जिसका संचालन ट्रस्ट और शासन मिलकर करते है। धर्मशाला का इतिहास आजादी से भी पुराना है, इसके निर्माण के पीछे की कहानी भी बड़ी रोचक है।
दरअसल, पार्वतीबाई खंडवा के सेठ रघुनाथदास की बेटी थी, जबलपुर (Jabalpur) के सेठ गोकुलदास के पुत्र जीवनदास से उनका विवाह हुआ था। इस दौरान कन्यादान में उन्हें 2 लाख रुपये के चांदी के सिक्के मिले थे। सेवाभावी और मानवीय मूल्यों पर जीवन जीने वाली पार्वतीबाई ने इसी रकम से एक ऐसी धर्मशाला का निर्माण करवाने की ठानी, जिसमें अमीर-गरीब और हर धर्म-जाति का व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के रुक सके, रह सके। 1917 में धर्मशाला का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 1924 में बनकर तैयार हुआ। यहां रुकने वाले यात्री भी धर्मशाला की व्यवस्थाओं से खुश रहते है। महज 5 रुपये प्रतिदिन देकर कोई भी व्यक्ति अपने सामान सहित पैलेस में रुक सकता है।
धर्मशाला के प्रबंधक बीएस मालवीया बताते है कि सेठानी पार्वतीबाई का परिवार बहुत ही सेवाभावी था। उन्होंने कन्यादान में मिले दो लाख रुपयों के सिक्कों से धर्मशाला का निर्माण कार्य करवाया और इसे सभी तरह के लोगों के रुकने के लिए समर्पित किया। धर्मशाला समिति में जिला प्रशासन की ओर से एसडीएम नामित होते है, जो इसका प्रशासनिक कार्य देखते है और निर्णय लेते है।
इतिहास के जानकारों ने कही ये बात
शहर के इतिहास जानकर संजय राठी ने बताया कि खंडवा की धर्मशाला शहर का गौरव है, यहां बेहद कम रुपयों में गरीब से गरीब व्यक्ति आश्रय पा सकता है। आज यह प्रॉपर्टी अरबों रुपयों की है, पैलेस के सामने खंडवा रेलवे जंक्शन है, जहां से यात्री पैलेस में आकर रुकते हैं। उन्होंने बताया कि उस दौर में हर व्यक्ति के पास घड़ी नही होती थी, इसलिए समय बताने के लिए यहां घंटा लगाया गया था, जो आज भी समय बताती है।
धर्मशाला में रुके ओंकारेश्वर के पंडित सुधांशु शर्मा ने बताया कि जब उन्हें किसी धार्मिक अनुष्ठान के लिए खंडवा आना होता है, तो वे यहीं आकर रुकते है। धर्मशाला की व्यवस्थाएं बहुत अच्छी है और यहां का प्रबंधन भी सहयोगी है। उन्होंने कहा कि महंगाई के दौर में 5 रुपये में एक कप चाय तक नहीं मिलती है, वह खंडवा की पार्वतीबाई धर्मशाला में गरीब व्यक्ति महज 5 रुपये देकर रोड पर सोने से अच्छा धर्मशाला में आकर रह सकते हैं।
100 साल पुराना धर्मशाला
2024 में धर्मशाला को 100 साल हो जाएगा। धर्मशाला में साधु-संत, स्त्री पुरुष, अमीर-गरीब, मजदूर, नौकरीपेशा, व्यापारी आदि प्रकार के वर्ग के लोग गांवों और शहरों से आकर रुकते है। धर्मशाला सभी व्यक्तियों के लिए सुरिक्षत माना जाता है। पैलेस के चारों ओर हरियाली और सुरक्षा के दृष्टि से पैलेस में सीसीटीवी कैमरे (CCTV) भी लगाए गए हैं।
पैलेस में 70 कमरें और 5 बड़े हाल के साथ-साथ निम्न, मध्यम और उच्च आय वर्ग के लिए 60 रुपये से लेकर 400 रुपये तक के कमरे उपलब्ध होते हैं। इन कमरों में पलंग, एसी, गीजर, फिल्टर वाटर से लेकर विभिन्न व्यवस्थाएं हैं। पैलेस खंडवा रेलवे स्टेशन के ठीक सामने स्थित है।
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