शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में पिछले पांच वर्ष के दौरान एक करोड़ 36 लाख लोग गरीबी (poverty) रेखा से बाहर निकल आए हैं। देश में हर 10 लोग जो गरीबी रेखा से हटे है, उनमें एक व्यक्ति मध्य प्रदेश का है। प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में 20 फीसदी गरीबी कम हुई है। देश में एमपी गरीबी के मामले में 5वें स्थान पर है। इसे लेकर राजधानी भोपाल में नीति आयोग ने प्रजेंटेशन दिया। जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chauhan) ने प्रबुद्धजनों से चर्चा की।
8 अगस्त, मंगलवार को कुशाभाऊ ठाकरे इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर भोपाल (Bhopal) में आयोजित कार्यक्रम में नीति आयोग (NITI Aayog) ने बहुआयामी गरीबी पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। प्रस्तुत रिपोर्ट में ऑन मल्टी डायमेंशनल पॉवर्टी के आंकड़े सामने आए। सीएम शिवराज सिंह के राज में प्रदेश में गरीबी घटी है।
साथ ही प्रदेश में बेहतर काम के साथ तेजी से विकास भी हुआ है। स्किल डेवलपमेन्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, हेल्थ, कृषि, सामाजिक, आर्थिक समावेश के क्षेत्र में विकास हुआ। वहीं मंडला, टीकमगढ़, अलीराजपुर, उमरिया, शहडोल, कटनी, रतलाम, भिंड, रीवा, धार, पन्ना, शिवपुरी और अनुपपुर में बेहतर काम हुआ। अलीराजपुर, उमरिया, मंडला, धार, सोंधवा (अलीराजपुर) प्रमुख पांच जिले में बेहतर काम हुए।
एमपी में सबसे तेजी से कमी
प्रदेश में गरीबी की तीव्रता 47.25% से घटकर 43.70% हो गई है। देश से गरीबी का बोझ कम करने में एमपी ने 10% का उल्लेखनीय योगदान दिया है। प्रदेश में पांच वर्षों की अवधि में गरीबों की संख्या में 15.94% की गिरावट आई है। वर्ष 2015-16 में 36.57% से घटकर यह 2019-21 में 20.63% रह गई है। सभी राज्यों में मध्यप्रदेश में सबसे तेजी से कमी देखी गई है।
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सीएम बोले- रोजगार के साधन नहीं होना गरीबी
सीएम शिवराज सिंह ने भोपाल में नीति आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट पर प्रबुद्धजनों के साथ चर्चा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि रोजगार के साधन नहीं होना गरीबी है। चिकित्सा के साधन न होना भी गरीबी है। मकान न होना गरीबी है।
जिनके पास संशाधन है वो गरीब नहीं- CM चौहान
उन्होंने कहा कि हम खुशी जीवन चाहते हैं। मनुष्य क्या है, सामान्य रूप से यह शरीर है। खुश रहने का मतलब है अलग-अलग संशाधन, जिनके पास यह संशाधन है वो गरीब नहीं। लेकिन भारतीय सोच यह नहीं है। मन का सुख और शरीर का सुख अलग-अलग है। बेटी जो अपनी बेटी को गले लगा लेती है उसे मन का सुख कहते हैं। कविता कोई कविता सुनाएं तो यह भी मन का सुख है।
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