शिखिल ब्यौहार, भोपाल। भोपाल नगर निगम, यूं कहा जाए कि यहां अजब नगर निगम की गजब कहानियां हैं। वैसे नगर निगम में पद और कार्यभार के लिए नगरीय विकास एवं आवास विभाग (संचालनालय) की क्रमिक संरचना है, रोस्टर और नियम भी हैं। लेकिन, भोपाल नगर निगम में नियम-प्रावधान का बस नहीं चलता। लिहाजा नियम-कानून-प्रावधान जैसे शब्द यहां उन पर लागू होते हैं जिनकी राजनीतिक या प्रशासनिक पकड़ नहीं होती। अब आप अंदाजा लगाइए कि आपके क्षेत्र में सहायक स्वास्थ्य अधिकारी (सेनेटरी इंस्पेक्टर) जैसे जिम्मेदार पद लिपिक या बिल्डिंग परमिशन शाखा में कॉलोनी सेल में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी के लिए पशुओं को इंजेक्शन लगाने वाले वैक्सीनेटर को काम दिया जाए तो क्या होगा। शायद इसलिए भोपाल नगर निगम को उपहास के तौर पर “नरक निगम” के नाम से भी पुकारा जाता है।

वैसे तो भोपाल नगर निगम में शायद ही ऐसी कोई शाखा होगी जहां धांधली के मामले न हों। धांधली सिर्फ आर्थिक तौर पर नहीं बल्कि प्रशासनिक तौर पर भी परंपरागत चली आ रही है। अब भवन अनुज्ञा को ही देख लीजिए। यहां योगेश शाक्य वैक्सीनेटर (मूल पद) को कॉलोनी सेल के सभी जोन के लिपिक संबंधित कार्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई। शहर सरकार के गलियारों में यह चर्चा है कि योगेश शाक्य महापौर मालती राय और उनके परिवार के करीबी हैं। ऐसे में भारी आर्थिक अनियमितताओं की भवन अनुज्ञा शाखा के सबसे महत्वपूर्ण कॉलोनी शाखा में भोपाल के सभी जोनों के कार्य के लिए उन्हें उपकृत किया गया। यह वही शाखा है जिसके मुखिया मतलब सिटी प्लानर अनूप गोयल पर हाल ही में आरोप लगा कि कोलार स्थित एक मैरिज गार्डन को नियमों को ताक पर रख परमीशन दी गई। जबकि मैरिज गार्डन बेशकीमती जमीन से निकली हाइटेंशन लाइन के नीचे बना हुआ है।

आइए बताते हैं बिल्डिंग परमिशन शाखा की नियमों की बदहाली

इस शाखा में मामला सिर्फ वैक्सीनेटर योगेश का अकेला नहीं है। शाखा में साबिर खान के कार्यभार को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। नगर निगम भोपाल में साबीर खान विनियमित कर्मचारी हैं। जो नियम विरुद्ध बिल्डिंग परमिशन शाखा में जमे हुए हैं। इसके अलावा यहां की सूची लंबी है। इसमें कपेन्द्र सिंह, सुनील जैन, राकेश लहरिया, सरिता कदम, महेश सिरोहिया, अंकित शाक्या, अमित दुबे, श्रीप्रदा दीक्षित के कार्यभार को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। शिकायतों की भी लंबी चौड़ी सूची है।

निगम की स्वास्थ्य शाखा भी बीमारी का शिकार

नगर निगम की स्वास्थ्य शाखा में भी भारी अनियमितता हैं। इस महत्वपूर्ण शाखा के कंधे पर शहर की साफ-सफाई से लेकर स्वच्छ भारत मिशन के करोड़ों के काम का बोझ है। इस शाखा में माननीयों के रसूख से कई अधिकारी नियम विरुद्ध जमे हुए हैं। कोई लिपिक है तो कोई दैनिक वेतन भोगी और सेनेटरी इंस्पेक्टर के पद के सहायक स्वास्थ्य अधिकारी पर नियम विरुद्ध जमे हुए हैं। इसमें रविकांत, मोहम्मद साहब, आसिफ, रविंद्र यादव, बलवीर मलिक, दिनेश पाल, जेपी तोमर, वीरेंद्र गुप्ता, मधुसूदन तिवारी समेत अन्य नाम हैं। कोई विधायक का खास, कोई मंत्री का खास तो कोई किसी नेता का करीबी है।

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