शब्बीर अहमद, भोपाल। चलती ट्रेन से गायब होने वाली अर्चना तिवारी के लापता होने की मिस्ट्री सुलझ गई है। पुलिस ने अर्चना को नेपाल बॉर्डर से बरामद किया और उसे परिवार को सौंप दिया है। अर्चना ने बताया कि घर वाले उस पर शादी का दबाव बना रहे थे। जिस वजह से उसने भागने का प्लान बनाया। वहीं उसने सारांश के साथ प्रेम प्रसंग का खंडन किया और उसे अपना दोस्त बताया है।

शादी का दबाव बनी वजह

अर्चना छात्र राजनीति कर चुकी थी। उसने बताया, घर वाले उसकी शादी की जिद कर रहे थे। लेकिन वह इससे इंकार कर रही थी। इसे लेकर उसका घर में कई बार झगड़ा होता था। उसका कहना था कि जब तक वह सिविल जज नहीं बन जाती, उसे विवाह नहीं करना है। इस बीच परिवार ने एक पटवारी लड़का देख लिया था और उससे शादी करवाना चाह रहे थे। जिससे वह मानसिक रूप से प्रताड़ित हो गई थी और इसी वजह से उसने रक्षाबंधन पर घर जाने से पहले ही भागने की योजना बना ली।’

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यहां पढ़ें पूरा घटनाक्रम

युवती के मुताबिक, ‘7 अगस्त 2025 को मैं इंदौर से कटनी के लिए ट्रेन (18233) इंदौर-नर्मदा एक्सप्रेस से रवाना हुई। मैं मानसिक रूप से घर जाने के लिए तैयार नहीं थी। रक्षाबंधन के कारण मैं घर जाने के लिए रवाना हो गई लेकिन मैंने सोच लिया की मैं अब घर नहीं जाउंगी और जब तकमैं सिविल जज नहीं बन जाती तब तक शादी नहीं करूंगी। इस दौरान  इटारसी रेलवे स्टेशन पहुंचने से पहले मैंने अपने पुराने क्लाइंट तेजेन्दर सिंह जो पंजाब का रहने वाला है वर्तमान में इटारसी में रहता है, उससे मदद मांगी और कहा कि मुझे इटारसी उतरकर वापस इंदौर जाना है। फिर मैंने अपने दोस्त सारांश को भी फोन लगा कर इटारसी बुला लिया था।’

इंदौर से हैदराबाद, दिल्ली और काठमांडू 

युवती ने आगे बताया कि ‘मैंने इटारसी उतरने से पूर्व ही तेजेंदर को बताया दिया था कि जहां इटारसी स्टेशन पर कैमरे न लगे हों वहां उतार लेना। फिर तेजेंदर नर्मदापुरम स्टेशन से मेरे साथ हो गया। तेजेंदर ने मुझे इटारसी में मेरे दोस्त सारांश के साथ भेज दिया और इटारसी में रूक गया था। इसके बाद मैं सारांश के साथ उसकी कार मे बैठकर शुजालपुर आ गई। जहां से इंदौर निकल गई। घरवालो के आ जाने के डर से हैदराबाद चली गई। वहां 2-3 दिन रुकने के बाद पेपर और मीडिया रिपोर्ट से मुझे जानकारी मिली कि मेरा केस काफी चर्चित हो गया है। जिसकी वजह से सुरक्षित महसूस नहीं कर रही थी।”

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काठमांडू के होटल में रुकवाकर इंदौर चला गया था सारांश

‘इसके बाद मैं सारांश के साथ 11 अगस्त 2025 को हैदराबाद से दिल्ली पहुंच गई ओर दिल्ली से टैक्सी से उसके साथ धनगुढ़ी नेपाल पहुंच गई। फिर धनगुढ़ी से काठमांडू पहुंच गई। जहां सारांश ने अपने परिचित से बात कराकर किसी होटल में रूकवाया और खुद इंदौर चला गया। कुछ दिन बाद देवकोटा ने मुझे एक नेपाल की सिम दिलवा दी थी। जिससे मैं व्हाट्सएप से सारांश से बात करती रही।’ 

सारांश और तेजेंदर को बताया दोस्त

सारांश ओर तेजेंदर को अर्चना ने अपना दोस्त बताया। उसने कहा कि उनकी मदद से मैं नेपाल तक पहुंच गई थी। किसी भी व्यक्ति ने मेरे साथ कोई गलत हरकत नहीं की और न ही गलत काम किया। सारांश के जरिए पुलिस ने मुझसे संपर्क किया ओर बताया कि ‘आपके परिवार वाले बहुत परेशान हैं। वापस आ जाओ।’ यह सुनकर काठमांडू से प्लेन से धनगुढ़ी आई और बाद में धनगुढ़ी से नेपाल बॉर्डर लखीमपुरी पहुंची। जहां पर मध्यप्रदेश जीआरपी पुलिस भोपाल की टीम मिली।

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ट्रेन से गिरकर मर गई लगे इसलिए ट्रेन में छोड़ा बैग

जांच में मालूम चला है कि अर्चना ने हरदा में बैठकर कुछ दिन पहले प्लान बनाया था। एसपी तेजिंदर के साथ मिलकर उसने प्लानिंग की थी। रेल एसपी राहुल लोढ़ा ने बताया कि तेजिंदर कैब ड्राइवर है जो हमेशा अर्चना को लेकर बाहर लेकर जाता था। लड़की ने ट्रेन में ही कपड़े बदले थे। जिससे कोई उसकी पहचान न हो। तेजिंदर उसके साथ ट्रेन में मौजूद था। उसी ने कपड़े दिए थे जिसे बदलकर वह भागी थी। तेजिंदर को इसी घटनाक्रम के दौरान फ्रॉड के मामले में दिल्ली पुलिस उठाकर ले गई थी। अर्चना ने ट्रेन में बैग इसलिए छोड़ा था ताकि पुलिस को लगे कि अर्चना ट्रेन से गिरकर हादसे का शिकार हो गई है।

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