हेमंत शर्मा, इंदौर। कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट का खास समर्थक कन्फेक्शनरी (बिस्किट्स) माफिया संजय जैसवानी का आपराधिक नेटवर्क एक बार फिर से सुर्खियों में है। हाल ही में हुई घटनाओं ने संजय जैसवानी और उसके सहयोगियों के खिलाफ गंभीर आरोपों को और पुख्ता कर दिया है। इस बार निशाने पर जीआरवी बिस्किट्स और उसके मालिक गौरव अहलावत थे, जिन्हें बंधक बनाकर करोड़ों की धोखाधड़ी की गई। मामले में कई और चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिनमें निशित और कृष जैसवानी की भूमिका भी उजागर हुई है।
संयोग था या कोई बड़ी साजिश का हिस्सा?
11 सितंबर को दोपहर 2 बजे, निशित को 48 घंटे तक बंधक बनाकर रखा गया। निशित, जो कि कामको च्यूफूड्स में चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, ने बयान दिया कि संजय जैसवानी ने जीआरवी बिस्किट्स में करोड़ों का गबन होने का आरोप लगाते हुए उसे धमकाया था। इसके बाद, संजय के सहयोगियों ने निशित के मोबाइल और लैपटॉप छीन लिए और उसे बंदी बना लिया। इसके बाद रात 9:15 बजे, जीआरवी बिस्किट्स के मालिक गौरव अहलावत को भी बंधक बना लिया गया। गौरव को दो दिनों तक बंदी बनाकर रखा गया और उनके साथ भी मोबाइल और लैपटॉप छीनकर मारपीट की गई। यह सारी साजिश सोची-समझी थी, जिसका मकसद गौरव के व्यवसाय पर कब्जा करना था।
क्रिश जैसवानी की संदिग्ध भूमिका
रात 11.59 बजे, संजय जैसवानी का भतीजा क्रिश जैसवानी, अपनी एसयूवी लैंडरोवर डिफेंडर में जीआरवी बिस्किट्स के दफ्तर से सभी मूल दस्तावेज, सर्वर और कंप्यूटर लोड करके ले जाता हुआ सीसीटीवी फुटेज में कैद हुआ। इस दौरान गौरव और निशित दोनों को बंधक बनाकर रखा गया था, और इस पूरी घटना में क्रिश की भूमिका संदिग्ध है। सवाल उठता है कि क्या यह केवल एक संयोग था या कोई बड़ी साजिश का हिस्सा? निशित का जीआरवी बिस्किट्स से कोई सीधा संबंध नहीं है, क्योंकि वह कामको च्यूफूड्स में चार्टर्ड अकाउंटेंट के तौर पर काम करता है। इसके बावजूद, उसे बंधक बनाकर संजय जैसवानी ने जीआरवी बिस्किट्स के गबन का आरोप उस पर लगाया। उसी समय, जीआरवी के असली मालिक गौरव को भी बंधक बनाया गया, जिससे साफ हो गया कि इन घटनाओं के बीच कोई गहरा संबंध है। यह घटनाएं किसी साधारण संयोग से ज्यादा लगती हैं, और इनका आपस में जुड़ा होना एक बड़ी साजिश की ओर इशारा करता है।
घटनाओं के पीछे की साजिश
इन घटनाओं में निशित और गौरव को बंधक बनाने, दस्तावेज़ और सर्वर की चोरी, और क्रिश की संदिग्ध गतिविधियों के बीच एक पैटर्न साफ दिखाई देता है। संजय जैसवानी के इरादे स्पष्ट हैं। किसी भी कीमत पर जीआरवी बिस्किट्स पर कब्जा जमाना और इस धोखाधड़ी से करोड़ों रुपये का लाभ उठाना। पुलिस ने इन सभी घटनाओं की जांच शुरू कर दी है, लेकिन सवाल यह है कि क्या जैसवानी और उसके सहयोगियों को कानून के शिकंजे में लाया जा सकेगा? संजय जैसवानी और उसके नेटवर्क द्वारा अंजाम दी गई इस साजिश ने इंदौर के व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है। निशित और गौरव को बंधक बनाना, दस्तावेज और सर्वर की चोरी, और कृष की संदिग्ध भूमिका ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। यह घटना केवल एक संयोग नहीं हो सकती, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है, जिसमें करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी शामिल है। पुलिस को जल्द से जल्द इन घटनाओं के पीछे की सच्चाई उजागर करनी होगी।
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