अजय नीमा, उज्जैन। विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की धूम शुरू हो गई है. 4 नवंबर को महाकाल की पहली सवारी निकाली गई. सावन-भादो की तरह कार्तिक अगहन मास में भी महाकाल की सवारी निकलने की परंपरा है. कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार को पहली सवारी को सभामंडप में शाम 4 बजे विधिवत पूजन-अर्चन के बाद राजसी ठाट-बाट के साथ निकाला गया.

महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि भगवान श्री महाकालेश्वर श्री मनमहेश रूप में प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले. बाबा की एक झलक पाने के लिए सड़कों पर भक्तों का हुजूम लग गया. शाम 4 बजे शुरू हुई बाबा की सवारी नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई शिप्रा नदी पहुंची. मान्यता है कि भगवान महाकाल सवारी के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलते हैं.

वहीं अपने राजा की एक झलक पाने के लिए प्रजा भी घंटों तक सड़क के किनारे इंतजार करती है. शाम को पूजन के बाद राजा महाकाल को चांदी की पालकी में बैठाकर मंदिर से बाहर लाया गया. मंदिर से निकलते ही मुख्य द्वार पर पुलिस बैंड और जवानों के सवारी को गार्ड आफ ऑनर दिया गया. सवारी के आगे घोड़ा, बेंड, पुलिस टुकड़ी और भजन मंडलियां चल रही थी.

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