सुशील खरे रतलाम। कोरोना संक्रमण काल में चिकित्सा व्यवस्था और उपचार की सुविधा को लेकर सिर्फ आम जनता ही परेशान नहीं है. जनप्रतिनिधि भी परेशान है. यही कारण है कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी में केंद्र सरकार द्वारा घोषित ऑक्सीजन प्लांट स्थापना की देरी पर विधायक की सक्रियता पर सवाल उठाया है.भाजपा के वरिष्ठ नेता और सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अशोक जैन चौटाला ने 7 माह पहले केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत आक्सीजन प्लांट अभी तक नहीं लगने के लिए रतलाम विधायक चेतन्य काश्यप को जिम्मेदार ठहराते हुए उनमें संघर्षशीलता का अभाव बताया है.

जैन का कहना है कि जब केंद्र सरकार ने 7 माह पहले प्रदेश के 8 जिलों के लिए ऑक्सीजन प्लांट लगाने की स्वीकृति दी. उसमें से 7 जिलों में प्लांट लग गए. वहां कोरोना महामारी के दौरान आक्सीजन की कमी का सामना मरीजों को नहीं करना पड़ा. वहीं रतलाम में अभी तक यह आक्सीजन प्लांट क्यों नहीं लगा. प्लांट लगाने के आदेश 2 नवम्बर को ही जारी हो गए थे. अब केवल एक मात्र रतलाम जिला ही बाकी रह गया है जहां आक्सीजन प्लांट नहीं लगा. उन्होंने इसके लिए सीधे शहर विधायक पर निशाना साधते हुए कहा कि शहर के जनप्रतिनिधि में जागरूकता का अभाव है.

मध्यप्रदेश के रतलाम सहित अन्य 7 जिले शामिल

बता दें कि केंद्र सरकार ने नवम्बर 2020 में देशभर के 158 जिलों में ऑक्ससीजन प्लांट लगाने को स्वीकृति दी थीं, जिसमें मध्यप्रदेश के रतलाम सहित अन्य 7 जिले शामिल थे. केंद्र सरकार ने यह स्वीकृति कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए उसके रोकथाम के लिए दी थी. आज 5 माह से अधिक हो गए और ऑक्सीजन प्लांट का अता-पता नहीं है. इसे लेकर भाजपा के नेता अशोक जैन चौटाला ने अपनी ही पार्टी के शहर विधायक पर जमकर निशाना साधा है.

मंत्री का कहना आक्सीजन प्लांट की नहीं बेड की ज्यादा जरूरत

भाजपा नेता द्वारा इस तरह से अपनी ही पार्टी के विधायक पर निशाना साधने से भाजपा की राजनीति गरमा गई है. वैसे रतलाम विधायक चेतन्य कश्यप ने अपने चेतन्य कश्यप फाउंडेशन से 1 करोड़ से अधिक की लागत से मेडिकल कालेज में आक्सीजन प्लांट लगाने की घोषणा की थी, जिस पर काम भी चालू हो गया है. वही केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत आक्सीजन प्लांट को लगाने में हो रही देरी पर जिला कोविड प्रभारी मंत्री मोहन यादव का रवैया भी ढुलमुल नजर आया. उनसे इस बारे में पूछने पर उनका कहना था कि आक्सीजन प्लांट की नहीं बेड की ज्यादा जरूरत है, क्योंकि अब आक्सीजन भरपूर उपलब्ध है.

वहीं इस संबंध में अशोक जैन का कहना है कि फाउंडेशन के अध्यक्ष होना बात की बात है. आप सबसे पहले विधायक है. विधायक की जिम्मेदारी रहती है कि 7 माह पहले जो प्रोजेक्ट दिया है वो यहां पहले लगे. आक्सीजन की कमी के कारण जो भय का माहौल बना और मरीजों को नुकसान हुआ वह नहीं होता. विधायक के नाते कैसे भी लड़ झगड़ कर सरकार से आक्सीजन प्लांट लगवाना था. उन्होंने भी सवाल उठाया कि जैसे 7 जिलो में लगा वैसे हमारे यहां सबसे पहलें क्यों नहीं लगा, क्यों हम आखरी में रह गए?

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फाउंडेशन के अध्यक्ष होने के साथ साथ पहले विधायक

विधायक अपने स्तर पर कर ही रहे हैं लेकिन सरकार से कोई चीज की घोषणा हुई है तो जनप्रतिनिधियों में यह कॉम्पिटिशन होना चाहिए कि सबसे पहले मेरे यहां क्यों नहीं। तभी तो हम सही जनप्रतिनिधि होंगे. उन्होंने बताया कि मन्दसौर के एक प्रदीप नाम के समाजसेवी ने तो ढाई करोड़ की राशि के उपकरण कोरोना महामारी से निपटने के लिए दिए. ऐसे कई समाजसेवी है जो करोड़ों दे रहे हैं, लेकिन हमारे विधायक फाउंडेशन के अध्यक्ष होने के साथ साथ पहले विधायक है. विधायक होने के नाते उनको सबसे पहले इस आक्सीजन प्लांट को लगवाना था यह भाव उनमें होना था.

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