दीपक सोहले, बुरहानपुर।  मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है। जहां भ्रष्टाचार के खिलाफ कलेक्टर ने सख्त कार्रवाई करते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग में पदस्थ एक बाबू डिमोशन करते हुए उसे चपरासी बना दिया। बाबू पर आंगनवाड़ी सहायिका के पद पर भर्ती के लिए रिश्वत मांगने का आरोप था। जांच में आरोप सही पाए जाने के बाद कलेक्टर ने यह सख्त कदम उठाया। 

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कलेक्टर ने दी अनोखी सजा

महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना कार्यालय खकनार में कार्यरत सहायक ग्रेड-3 सुभाष काकडे को पद के दुरुपयोग और वित्तीय लाभ लेने के आरोप में दोषी पाए जाने पर कलेक्टर भव्या मित्तल ने यह अनोखी सजा दी, जो अब सुर्ख़ियों में है। म.प्र. सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण, तथा अपील) नियम 1966 के तहत यह कार्रवाई की गई है।

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रिश्वत मांगने का आरोप

दरअसल सुभाष काकड़े पर आंगनबाड़ी सहायिका भर्ती के लिए रिश्वत मांगने का आरोप सामने आया था। मामले की गंभीरता को देखते हुए जुलाई 2024 में काकडे को निलंबित कर विभागीय जांच शुरू की गई। अपर कलेक्टर और परियोजना अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा सुनवाई में पर्याप्त अवसर देने के बावजूद सुभाष काकडे अपना संतोषजनक स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे। 

जांच में यह प्रमाणित हुआ कि उन्होंने म.प्र. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 13 और 14 का उल्लंघन किया, जो पद के दुरुपयोग और वित्तीय लाभ की श्रेणी में आता है। इसी के तहत कलेक्टर ने कार्रवाई  करते हुए बाबू सुभाष काकड़े को नेपानगर के रिक्त भृत्य पद पर स्थानांतरित कर दिया है।

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