दीपक सोहले, बुरहानपुर। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के जीजा माता शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज में अध्ययनरत 33 विद्यार्थियों की परीक्षा का परिणाम ही नहीं आया। गजब तब हो गया जब पता चला की उत्तर पुस्तिकाएं तो जांच केंद्र तक पहुंची ही नहीं, आनन-फानन में जब कॉलेज ने जांच की तो बताया उत्तर पुस्तिकाएं पोस्ट ऑफिस में दी गई, जो भोपाल ही नहीं पहुंची, ऐसे में 33 विद्यार्थियों का भविष्य अधर में आ गया।

परीक्षा के बाद प्रबंधन ने नहीं ली सुध

बुरहानपुर में शासकीय जीजा माता पॉलिटेक्निक महाविद्यालय और ठाकुर शिवकुमारसिंह इंजीनियर कॉलेज के भी कुछ विद्यार्थियों का परिणाम सामने नहीं आया। यह परीक्षा राजीव गांधी प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) की ओर से ली जाती है। जीजा माता शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय आयोजित की गई थी। सिविल और मैकेनिकल के विद्यार्थियों ने यह परीक्षा दी थी, जीजा माता के ही लगभग 33 विद्यार्थी इसमें शामिल है, जिन्होंने यह परीक्षा दी थी। परीक्षा के बाद सुध ही नहीं ली।  

उत्तर पुस्तिकाएं पहुंची ही नहीं भोपाल 

दरअसल कॉलेज से परीक्षा होने के बाद उत्तर पुस्तिकाएं भोपाल केंद्र में जांच के लिए पहुंचाई जाती है। इसे पोस्ट ऑफिस के जरिए भेजा जाता है। लेकिन परीक्षा के बाद हमेशा की तरह यह पुस्तिकाएं रख दी। परिणाम आने पर ही पता चला की उत्तर पुस्तिकाओं की लोकेशन इंदौर के बाद नहीं मिल रही है, जबकि इसे समय रहते पता किया जाता तो विद्यार्थियों के परिणाम भी सामने आ जाते। 18 जनवरी को सिविल और मैकेनिकल ब्रांच के दो विषय के नियमित के पेपर थर्ड सेमेस्टर के और इलेक्ट्रिकल और कम्प्यूटर साइंस के चतुर्थ सेम के बेक वालों के पेपर हुए थे। सभी का परिणाम जारी हुआ लेकिन मैकेनिकल और सिविल का परिणाम सामने नहीं आया, तो पता चला की परीक्षा होने के बाद बच्चों की उत्तर पुस्तिकाओं के बंडल पोस्ट ऑफिस के माध्यम से भोपाल पहुंचाए जाते हैं, लेकिन पोस्ट ऑफिस से इंदौर तक बंडल ट्रैक हो रहे हैं, उसके बाद इसकी जानकारी नहीं मिल रही।  

पांच माह बाद दर्ज हुई FIR 

जब प्रभारी प्राचार्य दीपक शाह से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि सिविल और मैकेनिकल के 33 बच्चों ने परीक्षा दी थी, इनका परिणाम नहीं आया। ये बैक वाले बच्चे थे। हमने पता किया तो भोपाल उत्तर  पुस्तिकाएं नहीं पहुंची है, आगे जो आदेश होंगे वह कार्रवाई होगी। किन्तु सवाल यह खड़ा हो रहा है कि आखिरकार बंडल गायब हुए इसकी जानकारी कॉलेज प्रबंधन को 5 माह बाद पता चली और एफआईआर भी 5 माह बाद कि गई। आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन ?

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