राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री निवास में आयोजित प्रदेश स्तरीय गौ-शाला सम्मेलन में डॉ मोहन यादव ने बड़ी घोषणा की है। प्रदेश में पशुपालन विभाग का नाम पशुपालन गौपालन विभाग होगा। इसी तरह मध्यप्रदेश दूध की राजधानी बनेगी, नदियों का मायका भी है मध्यप्रदेश। घर-घर गौपालन बनें इसके प्रयास जारी हैं। सीएम डॉ मोहन ने गौ-शालाओं की गायों के लिए करीब 90 करोड़ से अधिक की राशि अंतरित की। गौ-पालकों को पुरस्कार भी वितरित किए गए।
पशु विभाग का बजट बढ़ाया
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा- जहां जहां गौमाता और गौशाला वहां-वहां स्वर्ग, वहां 33 कोटि देवता वास करते हैं। जहां हमारी माता की सीमा समाप्त होती है वहां गौमाता की सीमा प्रारंभ होती है। गोपाल कृष्ण की जय बोलते ही आनंद छा जाता है। गांव और गाय का सम्बंध अलग नहीं है। अमूल देशभर में सहकारिता का आदर्श है। दूध उत्पादन में मप्र देश में नम्बर वन होना चाहिए। मप्र की आर्थिक व्यवस्था में दूध उत्पादन का अहम योगदान रहेगा। हमने पशु विभाग का बजट बढ़ाया।
भैंस के साथ गाय का दूध खरीदा तो कांग्रेस को लगी मिर्ची
हमने भैंस के साथ गाय का दूध खरीदा तो कांग्रेस को मिर्ची लगीं कांग्रेस को इस पर माफी मांगना चाहिए। आजादी के बाद भारत की पहचान के बजाय नादानी की ओर कदम बढ़ाए गए। सीएम डॉ मोहन ने कहा -कांग्रेस की सरकार में गाय के दूध को दूर रखा, भैंस के दूध को ज्यादा दिया बढ़ावा कांग्रेस ने कांग्रेसियों को माफी मांगना चाहिए। इन्होंने दूध खरीदने में एक नियम लगा दिया कि भैंस का दूध खरीदेंगे अपने यहां गौवंश जब ज्यादा है। गौ माता का दूध पतला होता है। भैंस का दूध मोटा होता है। भैंस का दूध डेयरी वालों को बेचों ताकि वह पतला कर उसे गाय का दूध बनाकर आसानी से बेच सके।
हर जिले में एक आदर्श वृंदावन गांव बनाए जाएंगे
सीएम ने कहा- अब गाय के दूध को भी उसी दर पर खरीदा जाएगा, जिस दर पर भैंस का दूध खरीदा जाता है। हर जिले में एक आदर्श वृंदावन गांव बनाए जाएंगे। अभी साढ़े 5 करोड़ लीटर का उत्पादन होता है, इसे बढ़ाया जाएगा। दूध डेयरियों के लिए योजना है। दूध संकलन समितियों की संख्या 9 हजार से बढ़ाकर 26 हजार की जाएगी।
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