धर्मेंद्र ओझा, भिंड। मध्य प्रदेश के भिंड जिले में शिक्षकों की कमी होने के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हो रहे हैं. 15 जून से सभी शासकीय स्कूल चालू हो चुके हैं. पहली से लेकर आठवीं तक के शासकीय स्कूलों की संख्या 1632 है. इन स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की कुल जगह 2244 है. वर्तमान में अतिथि शिक्षक 973 काम कर रहे हैं. जिले में अभी 1271 अतिथि शिक्षकों की खाली कुर्सी है.

बता दें कि 20 सितंबर से त्रैमासिक परीक्षा होने जा रही है. ऐसे में बच्चे अपनी कॉपी में क्या लिखेंगे. जिले में शासकीय स्कूलों की व्यवस्था बेहतर हो जाए तो प्राइवेट स्कूल में अपने बच्चों का क्यों एडमिशन कराएंगे. शासकीय स्कूलों में बेहतर व्यवस्था नहीं मिलती है. इसीलिए लोग मोटी रकम देखकर प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का एडमिशन करते हैं.

सो रहे जिम्मेदार ?

जिले में दो सैकड़ा से अधिक स्कूल जर्जर हालत में हैं. यदि बारिश के समय कोई घटना घटित हो जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. संबंधित अधिकारियों ने वरिष्ठ अधिकारियों को कई बार पत्र लिखकर अवगत भी करा चुके हैं. फिर भी अधिकारियों ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. स्कूल की बिल्डिंग जर्जर होने से बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ाई करनी पड़ती है. बारिश के दिनों में बच्चे स्कूल तो पहुंच जाते हैं मगर बच्चों की क्लास नहीं लग पाती है. क्योंकि स्कूल में कमरे कम होने की वजह से बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

एक तरफ सीएम राइज स्कूल, दूसरी तरफ शिक्षक नहीं

एक तरफ सरकार सीएम राइज स्कूल तैयार कर रही है. वहीं जिले में शिक्षकों की कमी है. शिक्षकों की कमी होने के कारण बच्चे शिक्षा से वंचित हैं. सीएम राइज स्कूल खुलने से क्या बच्चों को शिक्षा मिल पाएगी. जब शिक्षकों की कमी है तो सीएम राइज स्कूल कैसे चलेगा? इस विषय में जिला शिक्षा अधिकारी आरके मित्तल ने कहा कि इन सब विषयों को लेकर काम चल रहा है. सरकार की मान्यता के अनुसार ही काम होंगे. शिक्षकों की यदि बात हो या बिल्डिंग की बात हो या अन्य कोई समस्या हो. इन सभी समस्याओं को लेकर हमारी टीम लगी हुई है. निरंतर कार्य कर रही है. इस मामले में शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह को जल्द से जल्द संज्ञान लेना चाहिए. ताकि बच्चों की पढ़ाई के नुकसान न हो.

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