भोपाल, राकेश चतुर्वेदी। तीसरी लहर के अंदेशे तक स्कूलों में तालाबंदी और फीसवृदिध पर रोक लगाने को लेकर अब सरकार और निजी स्कूल एसोसिएशन आमने-सामने हो गए हैं। एक दिन की ऑनलाइन क्लास बंद करने के बाद सरकार और स्कूलों में ये तकरार और अधिक बढ़ गई है। सरकार ने स्कूल संचालकों की मांग सिरे से नकारते हुए स्कूल नहीं खोलने का फैसला सुना दिया है तो स्कूल एसोसिएशन ने अदालत जाने की तैयारी कर ली है।

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पालकों की मांग के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोनाकाल में निजी स्कूलों की फीसवृदिध पर रोक क्या लगाई। स्कूल संचालकों ने कोरोनाकाल में ही स्कूल खोलने की डिमांड कर डाली है। अपनी मांग को लेकर निजी स्कूल संचालकों ने सोमवार को ऑनलाइन क्लास पूरी तरह बंद कर दीं। वहीं प्रदेश के कई जिलों में स्कूल संचालकों ने जिला शिक्षाधिकारी कार्यालय और कलेक्टर कार्यालय जाकर स्कूलों की चाबियां लहराईं। इसके बाद भी सरकार ने मांग मानने से इनकार कर दिया तो स्कूल संचालकों ने अब सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है।

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मध्य प्रदेश एसोसिएशन ऑफ अन एडेड प्राइवेट स्कूल संगठन के उपाध्यक्ष विनय राज मोदी का कहना है कि संगठन ने स्कूल खोलने की मांग को लेकर सरकार के फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला लिया है। वहीं स्कूलों के खिलाफ मध्य प्रदेश पालक महासंघ मोर्चा खोले हुए है। पालक महासंध के प्रदेश अध्यक्ष कमल विश्वकर्मा का कहना है कि हाई कोर्ट ने ही कोरोनाकाल में फीस वृदिध पर रोक लगाई है। वहीं जब तक तीसरी लहर आने का अंदेशा है तब तक किसी भी कीमत पर स्कूल ओपन नहीं होना चाहिए। स्कूल संचालक अगर कोरोनाकाल में स्कूल खोलने की मांग को लेकर हाई कोर्ट जा रहे हैं तो पालक संघ भी कोर्ट में पालकों का पक्ष रखेगा।

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